तू बचपन में ही साथ छोड़ गयी थी, अब कहाँ मिलेगी ऐ जिन्दगी, तू वादा कर किसी रोज ख़्वाब में मिलेगी।

तू बचपन में ही साथ छोड़ गयी थी, अब कहाँ मिलेगी ऐ जिन्दगी, तू वादा कर किसी रोज ख़्वाब में मिलेगी।

Bachpan Shayari

जो मान लेते हैं हार, लेकिन ये उन लोगों के लिए नहीं है जो ठान लेते हैं जीत।

जो मान लेते हैं हार, लेकिन ये उन लोगों के लिए नहीं है जो ठान लेते हैं जीत।

असंभव का नाम न लो, इस संभव विश्व में अंभव कहां!

असंभव का नाम न लो, इस संभव विश्व में अंभव कहां!

जब तक कोई काम हो नहीं जाता वह असंभव ही लगता है आप की एकमात्र सीमा आप खुद ही हैं।

जब तक कोई काम हो नहीं जाता वह असंभव ही लगता है आप की एकमात्र सीमा आप खुद ही हैं।

 संभव और असंभव के बिच की दुरी, व्यक्ति के निश्चय पर निर्भर करती है ।

संभव और असंभव के बिच की दुरी, व्यक्ति के निश्चय पर निर्भर करती है ।

इंसान अगर ठान ले तो असंभव कुछ भी नहीं, असंभव शब्द का इस्तेमाल कायर करते हैं।

इंसान अगर ठान ले तो असंभव कुछ भी नहीं, असंभव शब्द का इस्तेमाल कायर करते हैं।

कठिन वह है जो थोड़ा समय लेता है और संभव वह है जो कुछ अधिक समय लेता है!

कठिन वह है जो थोड़ा समय लेता है और संभव वह है जो कुछ अधिक समय लेता है!

असंभव वो बोलते है जो कामचोर होते है।

असंभव वो बोलते है जो कामचोर होते है।

 सपने और प्यार में, कुछ भी असंभव नही है।

सपने और प्यार में, कुछ भी असंभव नही है।

हम भी मुस्कराते थे कभी बेपरवाह अन्दाज़ से देखा है आज खुद को कुछ पुरानी तस्वीरों में

हम भी मुस्कराते थे कभी बेपरवाह अन्दाज़ से देखा है आज खुद को कुछ पुरानी तस्वीरों में

 मै उसको छोड़ न पाया बुरी लतों की तरह, वो मेरे साथ है बचपन की आदतों की तरह

मै उसको छोड़ न पाया बुरी लतों की तरह, वो मेरे साथ है बचपन की आदतों की तरह

आते जाते रहा कर ए दर्द तू तो मेरा बचपन का साथी है.

आते जाते रहा कर ए दर्द तू तो मेरा बचपन का साथी है.

किताबों से निकल कर तितलियाँ ग़ज़लें सुनाती हैं टिफ़िन रखती है मेरी माँ तो बस्ता मुस्कुराता है

किताबों से निकल कर तितलियाँ ग़ज़लें सुनाती हैं टिफ़िन रखती है मेरी माँ तो बस्ता मुस्कुराता है

बचपन भी क्या खूब था , जब शामें भी हुआ करती थी, अब तो सुबह के बाद, सीधा रात हो जाती है।

बचपन भी क्या खूब था , जब शामें भी हुआ करती थी, अब तो सुबह के बाद, सीधा रात हो जाती है।

काश मैं लौट जाऊं बचपन की उन हसीं वादियों में ऐ जिंदगी जब न तो कोई जरूरत थी और न ही कोई जरूरी था

काश मैं लौट जाऊं बचपन की उन हसीं वादियों में ऐ जिंदगी जब न तो कोई जरूरत थी और न ही कोई जरूरी था

बचपन की दोस्ती थी बचपन का प्यार था तू भूल गया तो क्या तू मेरे बचपन का यार था

बचपन की दोस्ती थी बचपन का प्यार था तू भूल गया तो क्या तू मेरे बचपन का यार था

चलो के आज बचपन का कोई खेल खेलें, बडी मुद्दत हुई बेवजह हँसकर नही देखा

चलो के आज बचपन का कोई खेल खेलें, बडी मुद्दत हुई बेवजह हँसकर नही देखा

बहुत शौक था बचपन में दूसरों को खुश रखने का, बढ़ती उम्र के साथ वो महँगा शौक भी छूट गया।

बहुत शौक था बचपन में दूसरों को खुश रखने का, बढ़ती उम्र के साथ वो महँगा शौक भी छूट गया।

वक्त से पहले ही वो हमसे रूठ गयी है बचपन की मासूमियत न जाने कहाँ छूट गयी है

वक्त से पहले ही वो हमसे रूठ गयी है बचपन की मासूमियत न जाने कहाँ छूट गयी है