ए ज़िंदगी! तू मेरी बचपन की गुड़िया जैसी बन जा, ताकि जब भी मैं जगाऊँ तू जग जा।  - Bachpan Shayari

ए ज़िंदगी! तू मेरी बचपन की गुड़िया जैसी बन जा, ताकि जब भी मैं जगाऊँ तू जग जा।

Bachpan Shayari