बचपन में आकाश को छूता सा लगता था इस पीपल की शाख़ें अब कितनी नीची हैं - Bachpan Shayari

बचपन में आकाश को छूता सा लगता था इस पीपल की शाख़ें अब कितनी नीची हैं

Bachpan Shayari