मुझे जरुरत नहीं किसी आईने की अब, क्यूँकि मेरा मेहबूब कहता है क़ि तुम बहुत खूबसूरत हो।

मुझे जरुरत नहीं किसी आईने की अब, क्यूँकि मेरा मेहबूब कहता है क़ि तुम बहुत खूबसूरत हो।

Aaina Shayari

जिंदगी फिर कभी न मुस्कुराई बचपन की तरह मैंने मिट्टी भी जमा की खिलौने भी लेकर देखे.

जिंदगी फिर कभी न मुस्कुराई बचपन की तरह मैंने मिट्टी भी जमा की खिलौने भी लेकर देखे.

फिर से नज़र आएंगे किसी और में हमारे ये पल सारे, बचपन के सुनहरे दिन सारे।

फिर से नज़र आएंगे किसी और में हमारे ये पल सारे, बचपन के सुनहरे दिन सारे।

बचपन तो वहीं खड़ा इंतजार कर रहा है, तुम बुढ़ापे की ओर दौड़ रहे हो।

बचपन तो वहीं खड़ा इंतजार कर रहा है, तुम बुढ़ापे की ओर दौड़ रहे हो।

नक्शा उठा के और कोई शहर देखिए इस शहर में तो सब से मुलाकात हो गई

नक्शा उठा के और कोई शहर देखिए इस शहर में तो सब से मुलाकात हो गई

और भी खुबसूरत लगने लगती हूँ, जब आईने मे नहीं खुद को, तुम्हारी आंखों मे देख लेती हूँ।

और भी खुबसूरत लगने लगती हूँ, जब आईने मे नहीं खुद को, तुम्हारी आंखों मे देख लेती हूँ।

मै तो फना हो गया उसकी एक झलक देखकर, ना जाने हर रोज़ आईने पर क्या गुजरती होगी।

मै तो फना हो गया उसकी एक झलक देखकर, ना जाने हर रोज़ आईने पर क्या गुजरती होगी।

किस तरह मेरी जान ये किरदार बने है जो तुझसे मिले है वो तेरा यार बने है

किस तरह मेरी जान ये किरदार बने है जो तुझसे मिले है वो तेरा यार बने है

उनकी आंखों के आईने में जब-जब, देखी अपनी छाया, हमनें खुद को पूरी कायनात में सबसे ज्यादा खूबसूरत पाया।

उनकी आंखों के आईने में जब-जब, देखी अपनी छाया, हमनें खुद को पूरी कायनात में सबसे ज्यादा खूबसूरत पाया।

चाहे सोने के फ़्रेम में जड़ दो आइना झूट बोलता ही नहीं

चाहे सोने के फ़्रेम में जड़ दो आइना झूट बोलता ही नहीं

आईने को भी खूबसूरत बना देगी, तुम्हारे चेहरे की मुस्कान।

आईने को भी खूबसूरत बना देगी, तुम्हारे चेहरे की मुस्कान।

आइना कब बनाओगे मुझ को मुझ से किस दिन मिलाओगे मुझ को

आइना कब बनाओगे मुझ को मुझ से किस दिन मिलाओगे मुझ को

घर का आईना भी अब हक जता रहा है, खुद तो वैसा ही है पर मेरी उम्र बता रहा है।

घर का आईना भी अब हक जता रहा है, खुद तो वैसा ही है पर मेरी उम्र बता रहा है।

आज टूट गया तो बचकर निकलते है, कल आईना था तो रुक-रुक कर देखते थे।

आज टूट गया तो बचकर निकलते है, कल आईना था तो रुक-रुक कर देखते थे।

तुम अपने बारे में कुछ देर सोचना छोड़ो तो मैं बताऊं कि तुम किस कदर अकेले हो

तुम अपने बारे में कुछ देर सोचना छोड़ो तो मैं बताऊं कि तुम किस कदर अकेले हो

 इस दौरे-मुंसिफी में जरूरी नहीं वसीम जिस शख्स की खता हो उसी को सजा मिले

इस दौरे-मुंसिफी में जरूरी नहीं वसीम जिस शख्स की खता हो उसी को सजा मिले

शिक़ायत है, मुझे आईने से तुम्हारे, तुम मुझसे मिलने आती हो, उससे मिलने के बाद।

शिक़ायत है, मुझे आईने से तुम्हारे, तुम मुझसे मिलने आती हो, उससे मिलने के बाद।

कसूर निगाहों का नहीं आईने का था, जो चुपके से उनका दीदार आईने में कर लिया।

कसूर निगाहों का नहीं आईने का था, जो चुपके से उनका दीदार आईने में कर लिया।

प्यार अपने पे जो आता है तो क्या करते हैं, आईना देख के मुँह चूम लिया करते हैं।

प्यार अपने पे जो आता है तो क्या करते हैं, आईना देख के मुँह चूम लिया करते हैं।