एक आईने की दुकान की दीवार पर लिखा था तेरी पहचान ही न खो जाए कहीं, इतने चेहरे न बदल।

एक आईने की दुकान की दीवार पर लिखा था तेरी पहचान ही न खो जाए कहीं, इतने चेहरे न बदल।

Aaina Shayari

आईना भी तुम्हे देख आहे भरता होगा, इतना भी खुद को निहारा ना कीजिये!

आईना भी तुम्हे देख आहे भरता होगा, इतना भी खुद को निहारा ना कीजिये!

 आइना देख कर तसल्ली हुई हम को इस घर में जानता है कोई

आइना देख कर तसल्ली हुई हम को इस घर में जानता है कोई

अब कैसे संभालू मैं अपने टूटे दिल के टुकड़े को, अपने ही दिल के आईने में देखो बिखर सा गया हूं!

अब कैसे संभालू मैं अपने टूटे दिल के टुकड़े को, अपने ही दिल के आईने में देखो बिखर सा गया हूं!

 मुद्दतों बाद इक शख़्स से मिलने के लिए आइना देखा गया, बाल सँवारे गए

मुद्दतों बाद इक शख़्स से मिलने के लिए आइना देखा गया, बाल सँवारे गए

आईना कुछ नहीं नज़र का धोखा हैं, नज़र वही आता हैं जो दिल में होता हैं।

आईना कुछ नहीं नज़र का धोखा हैं, नज़र वही आता हैं जो दिल में होता हैं।

किस लिए देखती हो आईना तुम तो ख़ुद से भी ख़ूबसूरत हो

किस लिए देखती हो आईना तुम तो ख़ुद से भी ख़ूबसूरत हो

किरदार अपना पहले बनाने की बात क़र फिर आइना किसी को दिखने की बात कर।

किरदार अपना पहले बनाने की बात क़र फिर आइना किसी को दिखने की बात कर।

आईने में वो अपनी अदा देख रहे हैं. मर जाये की जी जाये कोई उनकी बला से ।

आईने में वो अपनी अदा देख रहे हैं. मर जाये की जी जाये कोई उनकी बला से ।

आईना देख अपना सा मुँह ले के रह गए, साहब को दिल न देने पे कितना ग़ुरूर था।

आईना देख अपना सा मुँह ले के रह गए, साहब को दिल न देने पे कितना ग़ुरूर था।

जाने किस किरदार की काई मेरे घर में आ पहुँची अब तो 'ज़फ़र' चलना है मुश्किल आँगन की चिकनाई में

जाने किस किरदार की काई मेरे घर में आ पहुँची अब तो 'ज़फ़र' चलना है मुश्किल आँगन की चिकनाई में

इक शजर ऐसा मोहब्बत का लगाया जाए। जिस का हम-साये के आँगन में भी साया जाए।

इक शजर ऐसा मोहब्बत का लगाया जाए। जिस का हम-साये के आँगन में भी साया जाए।

बनके चराग हम जलते रहे जिनके आंगन मे। बुझने के बाद मालूम हुआ वहाँ अंधेरा ही ना था।

बनके चराग हम जलते रहे जिनके आंगन मे। बुझने के बाद मालूम हुआ वहाँ अंधेरा ही ना था।

पलट न जाएँ हमेशा को तेरे आँगन से गुदाज़ लम्हों की बे-ख़्वाब आहटों से न रूठ

पलट न जाएँ हमेशा को तेरे आँगन से गुदाज़ लम्हों की बे-ख़्वाब आहटों से न रूठ

बरस रही है उदासी तमाम आँगन में  वो रत-जगों की हवेली बड़े अज़ाब में है

बरस रही है उदासी तमाम आँगन में वो रत-जगों की हवेली बड़े अज़ाब में है

ना मांगू मैं महल, ना बंगला ना कोठी, जन्म मिले उस आंगन में जहाँ जले राधे की ज्योति।

ना मांगू मैं महल, ना बंगला ना कोठी, जन्म मिले उस आंगन में जहाँ जले राधे की ज्योति।

हमारे घर के आँगन में सितारे बुझ गए लाखों  हमारी ख़्वाब गाहों में न चमका सुब्ह का सूरज

हमारे घर के आँगन में सितारे बुझ गए लाखों हमारी ख़्वाब गाहों में न चमका सुब्ह का सूरज

एक टुकड़ा बादल एक आंगन बरसात। दिल की यही ख्वाहिश के भीगूँ तेरे साथ।

एक टुकड़ा बादल एक आंगन बरसात। दिल की यही ख्वाहिश के भीगूँ तेरे साथ।

बना दे मुझे तेरे दिल का ADMIN फिर देख। तेरे दिल के आंगन में खुशियाँ ADD कर दूंगी।

बना दे मुझे तेरे दिल का ADMIN फिर देख। तेरे दिल के आंगन में खुशियाँ ADD कर दूंगी।