बनके चराग हम जलते रहे जिनके आंगन मे। बुझने के बाद मालूम हुआ वहाँ अंधेरा ही ना था। - Aangan Shayari

बनके चराग हम जलते रहे जिनके आंगन मे। बुझने के बाद मालूम हुआ वहाँ अंधेरा ही ना था।

Aangan Shayari