हमारे घर के आँगन में सितारे बुझ गए लाखों  हमारी ख़्वाब गाहों में न चमका सुब्ह का सूरज  - Aangan Shayari

हमारे घर के आँगन में सितारे बुझ गए लाखों हमारी ख़्वाब गाहों में न चमका सुब्ह का सूरज

Aangan Shayari