फैलते हुए शहरो अपनी वहशतें रोको मेरे घर के आँगन पर आसमान रहने दो  - Aangan Shayari

फैलते हुए शहरो अपनी वहशतें रोको मेरे घर के आँगन पर आसमान रहने दो

Aangan Shayari