रहती है छाँव क्यों मेरे आँगन में थोड़ी देर। इस जुर्म पर पड़ोस का वो पेड़ कट गया।

रहती है छाँव क्यों मेरे आँगन में थोड़ी देर। इस जुर्म पर पड़ोस का वो पेड़ कट गया।

Aangan Shayari

हमारे घर के आँगन में सितारे बुझ गए लाखों  हमारी ख़्वाब गाहों में न चमका सुब्ह का सूरज

हमारे घर के आँगन में सितारे बुझ गए लाखों हमारी ख़्वाब गाहों में न चमका सुब्ह का सूरज

एक टुकड़ा बादल एक आंगन बरसात। दिल की यही ख्वाहिश के भीगूँ तेरे साथ।

एक टुकड़ा बादल एक आंगन बरसात। दिल की यही ख्वाहिश के भीगूँ तेरे साथ।

बना दे मुझे तेरे दिल का ADMIN फिर देख। तेरे दिल के आंगन में खुशियाँ ADD कर दूंगी।

बना दे मुझे तेरे दिल का ADMIN फिर देख। तेरे दिल के आंगन में खुशियाँ ADD कर दूंगी।

फैलते हुए शहरो अपनी वहशतें रोको मेरे घर के आँगन पर आसमान रहने दो

फैलते हुए शहरो अपनी वहशतें रोको मेरे घर के आँगन पर आसमान रहने दो

ख़मोशी के हैं आँगन और सन्नाटे की दीवारें ये कैसे लोग हैं जिन को घरों से डर नहीं लगता

ख़मोशी के हैं आँगन और सन्नाटे की दीवारें ये कैसे लोग हैं जिन को घरों से डर नहीं लगता

आँगन में देख के चुगते दाना चिड़ियाँ को। लगा ऐसा के जिंदगी यूँ भी कितनी हसीन है।

आँगन में देख के चुगते दाना चिड़ियाँ को। लगा ऐसा के जिंदगी यूँ भी कितनी हसीन है।

उसे छत पर टंगे आलीशान झूमर पसंद थे। और मेरा दिल किसी आँगन में जलते दीप का दीवाना था।

उसे छत पर टंगे आलीशान झूमर पसंद थे। और मेरा दिल किसी आँगन में जलते दीप का दीवाना था।

इक शजर ऐसा मोहब्बत का लगाया जाए  जिस का हम-साए के आँगन में भी साया जाए

इक शजर ऐसा मोहब्बत का लगाया जाए जिस का हम-साए के आँगन में भी साया जाए

लाख गुलाब लगा लो तुम अपने आँगन में। जीवन में खुश्बू बेटी के आने से ही होगी।।

लाख गुलाब लगा लो तुम अपने आँगन में। जीवन में खुश्बू बेटी के आने से ही होगी।।

दीवारे खिंचती है घर के आंगन मे भी। इंसान कहीं भी समझौता नहीं करता।

दीवारे खिंचती है घर के आंगन मे भी। इंसान कहीं भी समझौता नहीं करता।

तेरे इश्क़ में भीगने का मन है जालीम। मेरे दिल के आँगन में जारा जम के बरसना तूम।

तेरे इश्क़ में भीगने का मन है जालीम। मेरे दिल के आँगन में जारा जम के बरसना तूम।

जिनके आंगन में अमीरी का शज़र लगता है। उनका हर ऐब ज़माने को हुनर लगता है।

जिनके आंगन में अमीरी का शज़र लगता है। उनका हर ऐब ज़माने को हुनर लगता है।

महक उठा है आँगन इस खबर से। वो ख़ुश्बू लौट आयी है सफर से।

महक उठा है आँगन इस खबर से। वो ख़ुश्बू लौट आयी है सफर से।

कौन कहे मासूम हमारा बचपन था खेल में भी तो आधा आधा आँगन था

कौन कहे मासूम हमारा बचपन था खेल में भी तो आधा आधा आँगन था

में छोड़ तो सकता हूँ लेकिन छोड़ नहीं पाता उसे, वो मेरी बिगड़ी हुई आदत की तरह है।

में छोड़ तो सकता हूँ लेकिन छोड़ नहीं पाता उसे, वो मेरी बिगड़ी हुई आदत की तरह है।

समय के साथ तो हर एक आदत छूट जाती है हमें तुम याद रक्खोगे ग़लतफ़हमी हमारी है

समय के साथ तो हर एक आदत छूट जाती है हमें तुम याद रक्खोगे ग़लतफ़हमी हमारी है

 बहुत कुछ बदला हैं मैने अपने आप में, लेकिन, तुम्हें वो टूट कर चाहने की आदत अब तक नहीं बदली।

बहुत कुछ बदला हैं मैने अपने आप में, लेकिन, तुम्हें वो टूट कर चाहने की आदत अब तक नहीं बदली।

छोड़ दूँ उसको भला मैं किस तरह से वो मोहब्ब़त है मिरी, आदत नहीं है

छोड़ दूँ उसको भला मैं किस तरह से वो मोहब्ब़त है मिरी, आदत नहीं है