दीवारे खिंचती है घर के आंगन मे भी। इंसान कहीं भी समझौता नहीं करता।  - Aangan Shayari

दीवारे खिंचती है घर के आंगन मे भी। इंसान कहीं भी समझौता नहीं करता।

Aangan Shayari