वो आग, हवा, संत की बानी की तरह है काटोगे उसे कैसे जो पानी की तरह है - Aag Shayari

वो आग, हवा, संत की बानी की तरह है काटोगे उसे कैसे जो पानी की तरह है

Aag Shayari