आग कोई हो कहीं भी कोई शोला भड़के जब भी जलते हैं गरीबों के ही घर जलते हैं! - Aag Shayari

आग कोई हो कहीं भी कोई शोला भड़के जब भी जलते हैं गरीबों के ही घर जलते हैं!

Aag Shayari