रुत बदली तो ज़मीं के चेहरे का ग़ाज़ा भी बदला रंग मगर ख़ुद आसमान ने बदले कैसे कैसे  ।

रुत बदली तो ज़मीं के चेहरे का ग़ाज़ा भी बदला रंग मगर ख़ुद आसमान ने बदले कैसे कैसे ।

Aasman Shayari

उक़ाबी रूह जब बेदार होती है जवानों में नज़र आती है उन को अपनी मंज़िल आसमानों में

उक़ाबी रूह जब बेदार होती है जवानों में नज़र आती है उन को अपनी मंज़िल आसमानों में

ख़ाक हो जाएगी ज़मीन इक दिन आसमानों की आसमानी में।

ख़ाक हो जाएगी ज़मीन इक दिन आसमानों की आसमानी में।

मुझे आसमान को छूने का कोई गम नहीं,आपका दिल छूना आसमान छूने से कम नहीं।

मुझे आसमान को छूने का कोई गम नहीं,आपका दिल छूना आसमान छूने से कम नहीं।

आसमाँ भर गया परिंदों से पेड़ कोई हरा गिरा होगा!

आसमाँ भर गया परिंदों से पेड़ कोई हरा गिरा होगा!

जितनी बंटनी थी बट चुकी ये ज़मीं, अब तो बस आसमान बाक़ी है

जितनी बंटनी थी बट चुकी ये ज़मीं, अब तो बस आसमान बाक़ी है

सफ़र का एक नया सिलसिला बनाना है अब आसमान तलक रास्ता बनाना है

सफ़र का एक नया सिलसिला बनाना है अब आसमान तलक रास्ता बनाना है

 आसमान देख कर सपने बुनो, आसान को छोड़ मुश्किल राहो को चुनो।

आसमान देख कर सपने बुनो, आसान को छोड़ मुश्किल राहो को चुनो।

ज़मीं के ताल सब सूखे पड़े हैं परिंदे आसमाँ-दर-आसमाँ हैं ।

ज़मीं के ताल सब सूखे पड़े हैं परिंदे आसमाँ-दर-आसमाँ हैं ।

कुछ परिंदों को तो बस दो चार दाने चाहिएँ कुछ को लेकिन आसमानों के ख़ज़ाने चाहिएँ ।

कुछ परिंदों को तो बस दो चार दाने चाहिएँ कुछ को लेकिन आसमानों के ख़ज़ाने चाहिएँ ।

कहिये तो आसमां जमीन पर उतार लाएं, मुश्किल नहीं है कुछ भी अगर, ठान लीजिये।

कहिये तो आसमां जमीन पर उतार लाएं, मुश्किल नहीं है कुछ भी अगर, ठान लीजिये।

बुलंदियों के आसमान पर पहुँच जाओ, तो फटे जूते की बड़ी तारीफ़ होती है।

बुलंदियों के आसमान पर पहुँच जाओ, तो फटे जूते की बड़ी तारीफ़ होती है।

हम किसी को गवाह क्या करते इस खुले आसमान के आगे।

हम किसी को गवाह क्या करते इस खुले आसमान के आगे।

यूँ तो मैंने बुलंदियों के हर निशान को छुआ, जब माँ ने गोद में उठाया तो आसमना को छुआ।।

यूँ तो मैंने बुलंदियों के हर निशान को छुआ, जब माँ ने गोद में उठाया तो आसमना को छुआ।।

बदले हुए से लगते हैं अब मौसमों के रंग पड़ता है आसमान का साया ज़मीन पर ।

बदले हुए से लगते हैं अब मौसमों के रंग पड़ता है आसमान का साया ज़मीन पर ।

ये ज़मीं इक लफ़्ज़ से आगे नहीं आसमाँ ही आसमाँ है और मैं।

ये ज़मीं इक लफ़्ज़ से आगे नहीं आसमाँ ही आसमाँ है और मैं।

आसमाँ एक सुलगता हुआ सहरा है जहाँ ढूँढता फिरता है ख़ुद अपना ही साया सूरज ।

आसमाँ एक सुलगता हुआ सहरा है जहाँ ढूँढता फिरता है ख़ुद अपना ही साया सूरज ।

सीढ़ियाँ उन्हें मुबारक हो,जिन्हें छत तक जाना है, मेरी मंजिल तो आसमान है, रास्ता मुझे खुद बनाना है।

सीढ़ियाँ उन्हें मुबारक हो,जिन्हें छत तक जाना है, मेरी मंजिल तो आसमान है, रास्ता मुझे खुद बनाना है।

अब आसमान भी कम पड़ रहे हैं उस के लिए क़दम ज़मीन पर रक्खा था जिस ने डरते हुए।

अब आसमान भी कम पड़ रहे हैं उस के लिए क़दम ज़मीन पर रक्खा था जिस ने डरते हुए।