अगर आसमाँ छूने की ख़्वाहिश है, तो हौसले आसमान से भी बड़े रखो।

अगर आसमाँ छूने की ख़्वाहिश है, तो हौसले आसमान से भी बड़े रखो।

Aasman Shayari

ये ज़मीं इक लफ़्ज़ से आगे नहीं आसमाँ ही आसमाँ है और मैं।

ये ज़मीं इक लफ़्ज़ से आगे नहीं आसमाँ ही आसमाँ है और मैं।

आसमाँ एक सुलगता हुआ सहरा है जहाँ ढूँढता फिरता है ख़ुद अपना ही साया सूरज ।

आसमाँ एक सुलगता हुआ सहरा है जहाँ ढूँढता फिरता है ख़ुद अपना ही साया सूरज ।

सीढ़ियाँ उन्हें मुबारक हो,जिन्हें छत तक जाना है, मेरी मंजिल तो आसमान है, रास्ता मुझे खुद बनाना है।

सीढ़ियाँ उन्हें मुबारक हो,जिन्हें छत तक जाना है, मेरी मंजिल तो आसमान है, रास्ता मुझे खुद बनाना है।

अब आसमान भी कम पड़ रहे हैं उस के लिए क़दम ज़मीन पर रक्खा था जिस ने डरते हुए।

अब आसमान भी कम पड़ रहे हैं उस के लिए क़दम ज़मीन पर रक्खा था जिस ने डरते हुए।

आई बोतल भी मय-कदे से

आई बोतल भी मय-कदे से "रियाज़" जब घटा आसमान पर आई।

आसमान में उड़ते परिंदों का ठिकाना जमीन पर है, इंसान में ही ख़ुदा रहता है पर ये तेरे यकीन पर है।

आसमान में उड़ते परिंदों का ठिकाना जमीन पर है, इंसान में ही ख़ुदा रहता है पर ये तेरे यकीन पर है।

"हसन-जमील" तिरा घर अगर ज़मीन पे है तो फिर ये किस लिए गुम आसमान में तू है।

खुले आसमान में उड़ता था, आज पर कटा परिंदा हूँ, तूने तो मार दिया जीते जी मेरी माँ की बदौलत मैं जिन्दा हूँ।

खुले आसमान में उड़ता था, आज पर कटा परिंदा हूँ, तूने तो मार दिया जीते जी मेरी माँ की बदौलत मैं जिन्दा हूँ।

आसमाँ अपने इरादों में मगन है लेकिन आदमी अपने ख़यालात लिए फिरता है !

आसमाँ अपने इरादों में मगन है लेकिन आदमी अपने ख़यालात लिए फिरता है !

गज़ल का हुस्न हो तुम नज़्म का शबाब हो तुम, सदा ये साज़ हो तुम नगमा ये रबाब हो तुम, जो दिल में सुबह जगाये वो आफ़ताब हो तुम!

गज़ल का हुस्न हो तुम नज़्म का शबाब हो तुम, सदा ये साज़ हो तुम नगमा ये रबाब हो तुम, जो दिल में सुबह जगाये वो आफ़ताब हो तुम!

आपकी नज़रों में आफताब की है जितनी अज़्मत, हम चिरागों का भी उतना ही अदब करते हैं।

आपकी नज़रों में आफताब की है जितनी अज़्मत, हम चिरागों का भी उतना ही अदब करते हैं।

चलता रहा तू साथ मेरे, कभी आफ़ताब बनके, कभी महताब बन के।

चलता रहा तू साथ मेरे, कभी आफ़ताब बनके, कभी महताब बन के।

न आफताब सा बनना न माहताब मुझे, मैं एक लम्हा हूँ जुगनू सा चमक जाता हूँ।

न आफताब सा बनना न माहताब मुझे, मैं एक लम्हा हूँ जुगनू सा चमक जाता हूँ।

तेरे चेहरे के नूर से आफ़ताब भी चमकता है, ए ज़िन्दगी। तू नहीं तो कुछ भी नहीं।

तेरे चेहरे के नूर से आफ़ताब भी चमकता है, ए ज़िन्दगी। तू नहीं तो कुछ भी नहीं।

चमन में शब को जो शोख़ बेनक़ाब आया, यक़ीन हो गया शबनम को आफ़ताब आया।

चमन में शब को जो शोख़ बेनक़ाब आया, यक़ीन हो गया शबनम को आफ़ताब आया।

 हर ज़र्रा आफ़ताब है, हर शय है बा-कमाल, निस्बत नही कमाल को शरहे कमाल से।

हर ज़र्रा आफ़ताब है, हर शय है बा-कमाल, निस्बत नही कमाल को शरहे कमाल से।

इश्क़ के आग़ोश में बस इक दिले खाना खराब, हुस्न के पहलू में रुकता आफ़ताब-ओ-माहताब।

इश्क़ के आग़ोश में बस इक दिले खाना खराब, हुस्न के पहलू में रुकता आफ़ताब-ओ-माहताब।

 उनका चेहरा कभी आफ़ताब लगा तो कभी माहताब, हम सितारा-ए-मायूस बने सफ़र करते रहे।

उनका चेहरा कभी आफ़ताब लगा तो कभी माहताब, हम सितारा-ए-मायूस बने सफ़र करते रहे।