गज़ल का हुस्न हो तुम नज़्म का शबाब हो तुम, सदा ये साज़ हो तुम नगमा ये रबाब हो तुम, जो दिल में सुबह जगाये वो आफ़ताब हो तुम! - Aaftab Shayari

गज़ल का हुस्न हो तुम नज़्म का शबाब हो तुम, सदा ये साज़ हो तुम नगमा ये रबाब हो तुम, जो दिल में सुबह जगाये वो आफ़ताब हो तुम!

Aaftab Shayari