अपनी मोहब्बत के लिए आशियाना बदल देंगे, दिल ने चाहा तो ये फ़साना बदल देंगे, अरे दुनिया वालों तुम्हारी हस्ती ही क्या है, जरूरत पड़ी तो सारा ज़माना ही बदल देंगे।
दर्द से दोस्ती हो गई यारों, जिंदगी बे दर्द हो गई यारों, क्या हुआ जो जल गया आशियाना हमारा, दूर तक रोशनी तो हो गई यारो।
काफिले ख्वाबों के आँखों से गुज़रे सारी रात. कम्बख्त नींद ही थी जिसे आशियाना न मिला।
ये जिन्दगी है, जिन्दगी में तो तूफान तो हर रोज आयेंगे, तिनका-तिनका जोड़ कर फिर से आशियाना बनायेंगे।
पुकार लीजिए प्यार से हमें, हम दौड़े चले आयेंगे. आपका दिल ही तो है मेरा आशियाना, इसे छोड़ कर अब और कहाँ जायेंगे।।
दर्द से दोस्ती हो गई यारों, जिंदगी बे दर्द हो गई यारों, क्या हुआ जो जल गया आशियाना हमारा, दूर तक रोशनी तो हो गई यारो।
वो हमें छोड़ कर क्या चले, ख्वाबों का आशियाना टूट गया, बड़ी जालिम थी वो रात जब, वो अलविदा कहकर जाना भूल गया।
तू चाँद और मैं सितारा होता, आसमान में एक आशियाना हमारा होता, लोग तुम्हे दूर से देखते, नज़दीक़ से देखने का हक़ बस हमारा होता।
दिल में एक छोटा-सा आशियाना हैं, वहाँ पे एक छोटा-सा नजराना हैं, पर ये बात सब से छुपाना हैं, की वहीं पे तो जान आपका ठिकाना हैं।
काश तू चाँद मैं तारा होता, आसमान पे एक आशियाना हमारा होता, लोग तुम्हें दूर से देखते, पास आने का हक़ सिर्फ हमारा होता।
फिरते रहे खानाबदोशों सा दर बदर काश अपना भी कोई ठिकाना होता. थक कर बदन चूर हुआ तो सोचा शहर में अपना भी आशियाना होता ।
तुम्हारी आँखों में बसा है आशियाना मेरा, अगर ज़िन्दा रखना चाहो तो कभी आँसू मत लाना।
बहाना मिल न जाये बिजलियों को टूट पड़ने का, कलेजा काँपता है आशियाँ को आशियाँ कहते।
ना रख उम्मीद-ऐ-वफ़ा किसी परिंदे से जब पर निकल आते हैं, तो अपने भी आशियाना भूल जाते हैं।
बिजलियाँ अपना जोर दिखाती रहीं, और हम आशियाना बनाते रहे।
अब कहाँ रातों को सोते हैं तुझे याद कर खूब रोते हैं वो क्या समझेंगे मसला खानाबदोशों का जिन के कई आशियाने होते हैं।
पिन्हाँ था दाम-ए-सख़्त क़रीब आशियान के उड़ने न पाए थे कि गिरफ़्तार हम हुए।
चाँद नगरी में होगा अपना आशियाना मोहब्बत में सारी दुनिया झुका दुँगा मेरे सबब जो आए हर्फ तुझ पर मैं खुद की हस्ती को मिटा दुँगा ।