ना रख उम्मीद-ऐ-वफ़ा किसी परिंदे से जब पर निकल आते हैं, तो अपने भी आशियाना भूल जाते हैं। - Aashiyana Shayari

ना रख उम्मीद-ऐ-वफ़ा किसी परिंदे से जब पर निकल आते हैं, तो अपने भी आशियाना भूल जाते हैं।

Aashiyana Shayari