यूँ तो हर लिबास में आप मेरे दिल की आफत हो, मगर साड़ी में तो उफ्फ्फ आप बस एक कयामत हो।

यूँ तो हर लिबास में आप मेरे दिल की आफत हो, मगर साड़ी में तो उफ्फ्फ आप बस एक कयामत हो।

Aafat Shayari

बला है क़हर है आफ़त है फ़ित्ना है क़यामत है, हसीनों की जवानी को जवानी कौन कहता है।

बला है क़हर है आफ़त है फ़ित्ना है क़यामत है, हसीनों की जवानी को जवानी कौन कहता है।

आफत नहीं जो टल जाउँगी, आदत हुँ लग जाऊँगी।

आफत नहीं जो टल जाउँगी, आदत हुँ लग जाऊँगी।

 वादा करके और भी आफत में डाला आपने, जिन्दगी मुश्किल थी अब मरना भी मुश्किल हो गया।

वादा करके और भी आफत में डाला आपने, जिन्दगी मुश्किल थी अब मरना भी मुश्किल हो गया।

 DP तो बस  दिखाने के लिए है वरना आफत, मचाने के लिए तो  मेरा नाम ही  काफी है।

DP तो बस दिखाने के लिए है वरना आफत, मचाने के लिए तो मेरा नाम ही काफी है।

मौत से क्या डर मिनटों का खेल है, आफत तो ज़िन्दगी है जो बरसो चला करती है ।

मौत से क्या डर मिनटों का खेल है, आफत तो ज़िन्दगी है जो बरसो चला करती है ।

 जब मिला कोई हसीं जान पर आफ़त आई, सौ जगह अहद-ए-जवानी में तबीअत आई!

जब मिला कोई हसीं जान पर आफ़त आई, सौ जगह अहद-ए-जवानी में तबीअत आई!

कौन है, किसकी यहां सामत आ गयी, सुना है शहर में नयी आफत आ गयी।

कौन है, किसकी यहां सामत आ गयी, सुना है शहर में नयी आफत आ गयी।

बला है क़हर है आफ़त है फ़ित्ना है क़यामत है, हसीनों की जवानी को जवानी कौन कहता है!

बला है क़हर है आफ़त है फ़ित्ना है क़यामत है, हसीनों की जवानी को जवानी कौन कहता है!

मय-कदा है यहाँ सुकूँ से बैठ, कोई आफ़त इधर नहीं आती!

मय-कदा है यहाँ सुकूँ से बैठ, कोई आफ़त इधर नहीं आती!

तुम होश में जब आए तो आफ़त ही बन के आए, अब मेरे पास जब भी तुम आओ नशे में आओ।

तुम होश में जब आए तो आफ़त ही बन के आए, अब मेरे पास जब भी तुम आओ नशे में आओ।

आफ़त हमारी जान को है बे-क़रार दिल ये हाल है कि सीने में जैसे हज़ार दिल!

आफ़त हमारी जान को है बे-क़रार दिल ये हाल है कि सीने में जैसे हज़ार दिल!

आफत है तेरे खत के फाड़े हुये पुर्जे, रख्खे भी नहीं जाते फेंके भी नहीं जाते।

आफत है तेरे खत के फाड़े हुये पुर्जे, रख्खे भी नहीं जाते फेंके भी नहीं जाते।

उस पर ही भेजता है वो आफ़त भी मौत भी, शायद उसे ग़रीब का बच्चा है ना-पसंद!

उस पर ही भेजता है वो आफ़त भी मौत भी, शायद उसे ग़रीब का बच्चा है ना-पसंद!

दुख़्तर-ए-रज़ ने उठा रक्खी है आफ़त सर पर ख़ैरियत गुज़री कि अंगूर के बेटा न हुआ!

दुख़्तर-ए-रज़ ने उठा रक्खी है आफ़त सर पर ख़ैरियत गुज़री कि अंगूर के बेटा न हुआ!

इक इश्क़ का ग़म आफ़त और उस पे ये दिल आफ़त या ग़म न दिया होता या दिल न दिया होता।

इक इश्क़ का ग़म आफ़त और उस पे ये दिल आफ़त या ग़म न दिया होता या दिल न दिया होता।

ऐ जुनूँ फिर मिरे सर पर वही शामत आई, फिर फँसा ज़ुल्फ़ों में दिल फिर वही आफ़त आई।

ऐ जुनूँ फिर मिरे सर पर वही शामत आई, फिर फँसा ज़ुल्फ़ों में दिल फिर वही आफ़त आई।

आफ़त तो है वो नाज़ भी अंदाज़ भी लेकिन मरता हूँ मैं जिस पर वो अदा और ही कुछ है!

आफ़त तो है वो नाज़ भी अंदाज़ भी लेकिन मरता हूँ मैं जिस पर वो अदा और ही कुछ है!

आफत तो है वो नाज़ भी अंदाज भी लेकिन, मरता हूँ मैं जिस पर वो अदा और ही कुछ है।

आफत तो है वो नाज़ भी अंदाज भी लेकिन, मरता हूँ मैं जिस पर वो अदा और ही कुछ है।