धड़कन सम्भालू या साँस काबू में करूँ, तुझे जी भर के देखने में आफत बहुत है।

धड़कन सम्भालू या साँस काबू में करूँ, तुझे जी भर के देखने में आफत बहुत है।

Aafat Shayari

तुम होश में जब आए तो आफ़त ही बन के आए, अब मेरे पास जब भी तुम आओ नशे में आओ।

तुम होश में जब आए तो आफ़त ही बन के आए, अब मेरे पास जब भी तुम आओ नशे में आओ।

आफ़त हमारी जान को है बे-क़रार दिल ये हाल है कि सीने में जैसे हज़ार दिल!

आफ़त हमारी जान को है बे-क़रार दिल ये हाल है कि सीने में जैसे हज़ार दिल!

आफत है तेरे खत के फाड़े हुये पुर्जे, रख्खे भी नहीं जाते फेंके भी नहीं जाते।

आफत है तेरे खत के फाड़े हुये पुर्जे, रख्खे भी नहीं जाते फेंके भी नहीं जाते।

उस पर ही भेजता है वो आफ़त भी मौत भी, शायद उसे ग़रीब का बच्चा है ना-पसंद!

उस पर ही भेजता है वो आफ़त भी मौत भी, शायद उसे ग़रीब का बच्चा है ना-पसंद!

दुख़्तर-ए-रज़ ने उठा रक्खी है आफ़त सर पर ख़ैरियत गुज़री कि अंगूर के बेटा न हुआ!

दुख़्तर-ए-रज़ ने उठा रक्खी है आफ़त सर पर ख़ैरियत गुज़री कि अंगूर के बेटा न हुआ!

इक इश्क़ का ग़म आफ़त और उस पे ये दिल आफ़त या ग़म न दिया होता या दिल न दिया होता।

इक इश्क़ का ग़म आफ़त और उस पे ये दिल आफ़त या ग़म न दिया होता या दिल न दिया होता।

ऐ जुनूँ फिर मिरे सर पर वही शामत आई, फिर फँसा ज़ुल्फ़ों में दिल फिर वही आफ़त आई।

ऐ जुनूँ फिर मिरे सर पर वही शामत आई, फिर फँसा ज़ुल्फ़ों में दिल फिर वही आफ़त आई।

आफ़त तो है वो नाज़ भी अंदाज़ भी लेकिन मरता हूँ मैं जिस पर वो अदा और ही कुछ है!

आफ़त तो है वो नाज़ भी अंदाज़ भी लेकिन मरता हूँ मैं जिस पर वो अदा और ही कुछ है!

आफत तो है वो नाज़ भी अंदाज भी लेकिन, मरता हूँ मैं जिस पर वो अदा और ही कुछ है।

आफत तो है वो नाज़ भी अंदाज भी लेकिन, मरता हूँ मैं जिस पर वो अदा और ही कुछ है।

आफ़त तो है वो नाज़ भी अंदाज़ भी लेकिन, मरता हूँ मैं जिस पर वो अदा और ही कुछ है।

आफ़त तो है वो नाज़ भी अंदाज़ भी लेकिन, मरता हूँ मैं जिस पर वो अदा और ही कुछ है।

 मुझे किसी से अब आस नहीं रहा, सब मतलब से मिलते हैं और बिछड़ जाते हैं।

मुझे किसी से अब आस नहीं रहा, सब मतलब से मिलते हैं और बिछड़ जाते हैं।

 चलो यही आस काफी हैं तुम्हे अब भी मैं याद हूँ।

चलो यही आस काफी हैं तुम्हे अब भी मैं याद हूँ।

मिरी उम्मीद का सूरज कि तेरी आस का चाँद, दिए तमाम ही रुख़ पर हवा के रक्खे थे!

मिरी उम्मीद का सूरज कि तेरी आस का चाँद, दिए तमाम ही रुख़ पर हवा के रक्खे थे!

बारहा बात जीने मरने की एक बिखरी सी आस हो तुम भी!

बारहा बात जीने मरने की एक बिखरी सी आस हो तुम भी!

रोज़ इस आस पे दरवाज़ा खुला रखता हूँ, शायद आ जाए वो चुपके से ।

रोज़ इस आस पे दरवाज़ा खुला रखता हूँ, शायद आ जाए वो चुपके से ।

बड़े बेगैरत है ये मेरे नैना, तेरे मिलने की आस में भी, तेरे ना मिलने के प्यास में भी, बहाते रहते है अश्रुधार, बिना मेरी इजाज़त के।

बड़े बेगैरत है ये मेरे नैना, तेरे मिलने की आस में भी, तेरे ना मिलने के प्यास में भी, बहाते रहते है अश्रुधार, बिना मेरी इजाज़त के।

बैठे है महफ़िल में इसी आस में, वो निगाहें उठाएँ तो हम सलाम करें।

बैठे है महफ़िल में इसी आस में, वो निगाहें उठाएँ तो हम सलाम करें।

 अधूरे मिलन की आस हैं जिंदगी, सुख – दुःख का एहसास हैं जिंदगी, फुरसत मिले तो ख्वाबो में आया करो, आप के बिना बड़ी उदास हैं जिंदगी।

अधूरे मिलन की आस हैं जिंदगी, सुख – दुःख का एहसास हैं जिंदगी, फुरसत मिले तो ख्वाबो में आया करो, आप के बिना बड़ी उदास हैं जिंदगी।