तुम्हारी गुफ़्तुगू से आस की ख़ुश्बू छलकती है, जहाँ तुम हो वहाँ पे ज़िंदगी मालूम होती है! - Aas Shayari

तुम्हारी गुफ़्तुगू से आस की ख़ुश्बू छलकती है, जहाँ तुम हो वहाँ पे ज़िंदगी मालूम होती है!

Aas Shayari