मैं शाख़ से उड़ा था सितारों की आस में, मुरझा के आ गिरा हूँ मगर सर्द घास में!
वो नहीं है तो उसकी आस रहे, एक जाए तो एक पास रहे!
ख्वाहिशों का क़ैदी दिल, काश ये समझ सकता, सांस टूट जाती है आस टूट जाने से ।
तुमसे मिलने की आस में, ना जाने कब दिन से रात हो जाती हैं।
तुम बिन अब थमने लगी हैं मेरी सांसे आहिस्ता-आहिस्ता-आहिस्ता।
सुधरने लगी है आजकल हालत आहिस्ता-आहिस्ता, कोई जान गया मेरी ज़रूरत आहिस्ता-आहिस्ता।
दो शख़्स के बीच आपस में समझ होना बहुत ज़रूरी, सदा दूर ले जाती हर शिक़ायत आहिस्ता-आहिस्ता।
आहिस्ता आहिस्ता आपका यकीन करने लगे हैं, आहिस्ता आहिस्ता आपके करीब आने लगे हैं, दिल तो देने से घबराते हैं मगर आहिस्ता आहिस्ता आपके दिल की कदर करने लगे हैं।
नफ़रत के बाज़ार में क्या रखा है यार, न जाओ उधर, इधर आओ ज़रा, होगी मुहब्बत आहिस्ता-आहिस्ता।
जिंदगी गुजर जायेगी आहिस्ता आहिस्ता फिर वक्त़ डगमगायेगा आहिस्ता आहिस्ता तुम याद हमें रखोगे कुछ देर फिर यह याद भी मिट जायेगी आहिस्ता आहिस्ता।
उसने आहिस्ता से जब पुकारा मुझे, झुक के तकने लगा हर सितारा मुझे!
उस की याद आई है साँसो ज़रा आहिस्ता चलो, धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है ।
आहिस्ता से दाखिल हो कर उसने हमारे दिल में, हमारे ही दिल से हमें बेदखल कर दिया ।
आहिस्ता – आहिस्ता आपका यकीन करने लगे हैं,आहिस्ता – आहिस्ता आपके करीब आने लगे हैं,दिल तो देने से घबराते है,मगर आहिस्ता-आहिस्ता आपके दिल की कदर करने लगे हैं।
मोहब्बत एक दम ग़म का एहसास होने नहीं देती, ये तितली बैठती है ज़ख्म पर आहिस्ता आहिस्ता।
आहिस्ता आहिस्ता धड़कन बढ़ने लगती है, जब इंतज़ार की घड़ी कम होने लगती है।
आहिस्ता से बोलने का उसका अंदाज भी कमाल था, कानों ने कुछ सुना भी नही, और दिल सब समझ गया।
उदास कर देती है, हर रोज ये शाम मुझे यूँ लगता है, जैसे कोई मुझे भूल रहा हो आहिस्ता आहिस्ता।