मोहब्बत एक दम ग़म का एहसास होने नहीं देती, ये तितली बैठती है ज़ख्म पर आहिस्ता आहिस्ता। - Aahista Shayari

मोहब्बत एक दम ग़म का एहसास होने नहीं देती, ये तितली बैठती है ज़ख्म पर आहिस्ता आहिस्ता।

Aahista Shayari

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