आरज़ू आबाद है बिखरे खंडर के आस पास, दर्द की दहलीज़ पर गर्द-ए-सफ़र के आस पास! - Aas-Paas Shayari

आरज़ू आबाद है बिखरे खंडर के आस पास, दर्द की दहलीज़ पर गर्द-ए-सफ़र के आस पास!

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