ऐसा भी क्या ग़म है तुझे क्यूँ इतना तरस रहा ऐ बादल ज़रा तो ठहर क्यूँ इतना बरस रहा। - Badal Shayari

ऐसा भी क्या ग़म है तुझे क्यूँ इतना तरस रहा ऐ बादल ज़रा तो ठहर क्यूँ इतना बरस रहा।

Badal Shayari