आज दिल करता है कि बादल बनकर बरस जाऊँ तू भीग जाए मुझ में और में तुझ कही खो जाऊँ ।

आज दिल करता है कि बादल बनकर बरस जाऊँ तू भीग जाए मुझ में और में तुझ कही खो जाऊँ ।

Badal Shayari

बादलों सा इश्क़ था उसका, थोड़ी देर बरस कर कहीं खो गया।

बादलों सा इश्क़ था उसका, थोड़ी देर बरस कर कहीं खो गया।

बादल हो या काजल बह जाना ही मुकद्दर है।

बादल हो या काजल बह जाना ही मुकद्दर है।

ऐसा भी क्या ग़म है तुझे क्यूँ इतना तरस रहा ऐ बादल ज़रा तो ठहर क्यूँ इतना बरस रहा।

ऐसा भी क्या ग़म है तुझे क्यूँ इतना तरस रहा ऐ बादल ज़रा तो ठहर क्यूँ इतना बरस रहा।

बादलों का गुनाह नहीं को वो बरस गए दिल हल्का करने का हक सबको है।

बादलों का गुनाह नहीं को वो बरस गए दिल हल्का करने का हक सबको है।

ये बादल तुम मेरी आंखे रख लो कसम से बड़ी माहिर है बरसने। में।

ये बादल तुम मेरी आंखे रख लो कसम से बड़ी माहिर है बरसने। में।

जोरों से बरसें, लाए थे सैलाब, दिल बादलों का भी टूट होगा आज।

जोरों से बरसें, लाए थे सैलाब, दिल बादलों का भी टूट होगा आज।

किसी रोज तो मेरे गम के बादल छटेंगे, किसी रोज तो कोई महताब मेरे गली से गुजरेगा।

किसी रोज तो मेरे गम के बादल छटेंगे, किसी रोज तो कोई महताब मेरे गली से गुजरेगा।

 हमारे शहर आजा, यहाँ सदा बरसात रहती है, कभी बादल बरस्ते है तो कभी आँखें बरसती है।

हमारे शहर आजा, यहाँ सदा बरसात रहती है, कभी बादल बरस्ते है तो कभी आँखें बरसती है।

 बिन मौसम रोता है वो बादल, सिर्फ धरती के प्यार में।

बिन मौसम रोता है वो बादल, सिर्फ धरती के प्यार में।

बादल भी आज थोड़ा शर्मा से गए है, लगता है किसी बिजली से मिलेकर आए है।

बादल भी आज थोड़ा शर्मा से गए है, लगता है किसी बिजली से मिलेकर आए है।

शायद इन बादलों को भी इश्क़ में धोखा मिला है नादान दिन-रात अश्क़ बहाते हैं आज कल।

शायद इन बादलों को भी इश्क़ में धोखा मिला है नादान दिन-रात अश्क़ बहाते हैं आज कल।

तेरी ज़ुल्फ़ को मैंने जबसे बादल माना है दुश्मनी हवाओं से होना लाज़मी है।

तेरी ज़ुल्फ़ को मैंने जबसे बादल माना है दुश्मनी हवाओं से होना लाज़मी है।

बुरा काम होता देख हम बोल पड़ते हैं अक्सर लोग हमें, जुर्म सहना सिखाना चाहते हैं।।

बुरा काम होता देख हम बोल पड़ते हैं अक्सर लोग हमें, जुर्म सहना सिखाना चाहते हैं।।

चुप रहना चाहें भी तो जुबान को रोक नहीं पाते हम बुरा होता देख चुप रह ही नहीं पाते।

चुप रहना चाहें भी तो जुबान को रोक नहीं पाते हम बुरा होता देख चुप रह ही नहीं पाते।

चुप रहूंगा जुबान ना खोलूंगा तुम बेवफाई करना या वफ़ा मैं कुछ नहीं अब बोलूंगा।

चुप रहूंगा जुबान ना खोलूंगा तुम बेवफाई करना या वफ़ा मैं कुछ नहीं अब बोलूंगा।

कुछ आपका अंदाज है कुछ मौसम रंगीन है तारीफ करूँ या चुप रहूँ, जुर्म दोनो संगीन है।

कुछ आपका अंदाज है कुछ मौसम रंगीन है तारीफ करूँ या चुप रहूँ, जुर्म दोनो संगीन है।

सच कहूँ तो सवाल करते हैं लोग चुप रहूँ तो इस्तेमाल करते हैं लोग।

सच कहूँ तो सवाल करते हैं लोग चुप रहूँ तो इस्तेमाल करते हैं लोग।

चुपचाप चले थे जिन्दगी के सफ़र में तुम पर नजर पड़ी और गुमराह हो गये।

चुपचाप चले थे जिन्दगी के सफ़र में तुम पर नजर पड़ी और गुमराह हो गये।