हम को निगल सकें ये अंधेरों में दम कहाँ, जब चाँदनी से अपनी मुलाक़ात हो गई। - Chandani Shayari

हम को निगल सकें ये अंधेरों में दम कहाँ, जब चाँदनी से अपनी मुलाक़ात हो गई।

Chandani Shayari