वो चाँदनी का बदन ख़ुशबुओं का साया है, बहुत अज़ीज़ हमें है, मगर पराया है!
चाँदनी और चाँद में लो गुफ़्तगु छिड़ गई, सितारे हुए खामोश, महफ़िल जम गई।
चाँद की ज़रूरत हैं जैसे चाँदनी के लिए, बस एक सनम चाहिए आशिकी के लिए।
एक चाँद की चाँदनी आँखों को ऐसी भा गई, बेवजह ही सुबह से दुश्मनी हो गई ।
महक रही है ज़मीं चाँदनी के फूलों से, ख़ुदा किसी की मोहब्बत पे मुस्कराया है।
रात को दे दो चाँदनी की रिदा, दिन की चादर अभी उतारी है ।
हम को निगल सकें ये अंधेरों में दम कहाँ, जब चाँदनी से अपनी मुलाक़ात हो गई।
आपकी याद आती रही रात-भर, चाँदनी दिल दुखाती रही रात-भर।
क्या ज़रूरी है हर रात को चाँद तुमको मिले, जुगनुओ से नीस्बत रखो चाँदनी का भरोसा नही।
बरस पड़ी थी जो रुख़ से नक़ाब उठाने में, वो चाँदनी है अभी तक मेरे ग़रीब-ख़ाने में।
अँन्धेरों में जल उठना, चाँदनी में खो जाना, एक रंग अपना है, एक रंग दुनिया का।
यादों के साये में हम जी-जी के मरे, और चाँदनी रातों मे मर-मर के जीये।
पैमाना टूटने का कोई ग़म नहीं मुझे, ग़म है तो ये कि चाँदनी रातें बिखर गईं।
लहू में उतरती रही चाँदनी, बदन रात का कितना ठंडा लगा।
मै चूड़ियों की खनक से उसे पास बुलाती हूँ किसी को शक ना हो जाये थोड़ा घबराती हूँ लेकिन उसको देखने की चाहत में उसके घर के सामने से जाते हुए चूड़ियां खनखनाती हूँ
तेरे माथे की बिंदिया चमकती रहे तेरे हाथों की मेहंदी महकती रहे तेरे जोड़े की रौनक सलामत रहे तेरी चूड़ी हमेशा खनकती रहे!
हमें जख्मी करने के लिए तुमने एक से बढ़कर एक हथ्यार रखा है कभी झुमके कभी बिंदी तो कभी चूड़ी पहन कर हमें घायल कर जाती हो
दिन रात देखता हूँ सपने के तुझे एक दिन मै अपना बना लूंगा जिन हाथों में पहनती हो कंगन उन हाथों में चूड़ियां पहना दूँगा