लहू में उतरती रही चाँदनी, बदन रात का कितना ठंडा लगा।
मै चूड़ियों की खनक से उसे पास बुलाती हूँ किसी को शक ना हो जाये थोड़ा घबराती हूँ लेकिन उसको देखने की चाहत में उसके घर के सामने से जाते हुए चूड़ियां खनखनाती हूँ
तेरे माथे की बिंदिया चमकती रहे तेरे हाथों की मेहंदी महकती रहे तेरे जोड़े की रौनक सलामत रहे तेरी चूड़ी हमेशा खनकती रहे!
हमें जख्मी करने के लिए तुमने एक से बढ़कर एक हथ्यार रखा है कभी झुमके कभी बिंदी तो कभी चूड़ी पहन कर हमें घायल कर जाती हो
दिन रात देखता हूँ सपने के तुझे एक दिन मै अपना बना लूंगा जिन हाथों में पहनती हो कंगन उन हाथों में चूड़ियां पहना दूँगा
तेरी चूड़ी की खनक सुनते ही चेहरे पर मुस्कराहट आ जाती है तू जब जब मेरे सामने आती है मेरे दिल की धड़कन बढ़ा जाती है
चूड़ियां पहनकर वो अक्सर छुप छुप कर मुझसे मिलने आती है जब होते हैं दोनों एकांत में तो अपनी चूड़ियों की आवाज़ से ही घबरा जाती है
जब भी खनकती हैं चूड़ियाँ हम दौड़े चले आते हैं चूड़ियों की आवाज सुनकर लगता हैं जैसे तुम फिर से लौट आई हों!
हाथ की लकीरे पढ़ने वालो ने तो मेरे होश ही उड़ा दिए मेरा हाथ देखकर बोला तुझे मौत नहीं किसी की चाहत मारेगी!
लाल चूड़ियाँ तेरे हाथ में लगती हैं ऐसे जैसे चाँद पर रख दिया हो किसी ने कुछ फूल गुलाब के!
वो चूड़ी वाले को उनकी कलाई थमा देते हैं जिनकी वो आज तक उंगलिया ना छु सके!
चूड़ियाँ तो वो खरीद लाई होगी चाँद रात को फिर उसे मेरी याद आएगी!
बहुत शोर करती हैं पकड़ने पर कलाई तेरी चूड़ियाँ किसी दिन मरवाएगी मुझे!!!
चूड़ी मजा ना देगी कंगन मजा ना देगा तेरे बगैर साजन सावन मजा ना देगा!!!
तेरी चूड़ी की खनखन से हो सवेरा मेरा इस ख्याल में ही गुजर रहा हैं हर पल मेरा!
तुम्हारी चूड़ी हैं या एक्सीलेटर खनक सुनते ही दिल की रफ़्तार बढ़ जाती हैं!
कुछ इसी तरह से रिश्तों को हम निभाते रहे, हर बार चोट खा के भी ऐसे ही मुस्कुराते रहे.
नसीहतों से कह दो अभी मैं मगरूर हूँ, हालांकि सच ये है कि बहुत मजबूर हूँ,