जिसकी चोट पर हमने सदा मरहम लगायें, हमारे वास्ते फिर उसने नये खंजर मगायें.
 - Chot Shayari

जिसकी चोट पर हमने सदा मरहम लगायें, हमारे वास्ते फिर उसने नये खंजर मगायें.

Chot Shayari