जहाँ चोट खाना, वही मुस्कुराना मगर इस अदा से कि रो दे जमाना.
 - Chot Shayari

जहाँ चोट खाना, वही मुस्कुराना मगर इस अदा से कि रो दे जमाना.

Chot Shayari