शदीद प्यास थी फिर भी छुआ न पानी को मैं देखता रहा दरिया तिरी रवानी को - Dariya Shayari

शदीद प्यास थी फिर भी छुआ न पानी को मैं देखता रहा दरिया तिरी रवानी को

Dariya Shayari