तुम समंदर हो जैसे  मैं कोई दरिया हु जैसे मिलने आते हो मुझसे और बिछड़ जाते हो लहरो के जैसे। - Dariya Shayari

तुम समंदर हो जैसे मैं कोई दरिया हु जैसे मिलने आते हो मुझसे और बिछड़ जाते हो लहरो के जैसे।

Dariya Shayari