कौन सा अंदाज़ है ये तेरी 💗महोब्ब्त का, ज़रा हमको भी समझा दे 🔪मरने से भी रोकते हो और 😊जीने भी नहीं देते।
घर से बाहर वो नक़ाब मे निकली, सारी गली उनकी फिराक मे निकली, इनकार करते थे वो हमारी 💖मोहब्बत से, ओर हमारी ही 🖼तस्वीर उनकी 🗞किताब से निकली।
कोई तो इन्तहा होगी मेरे 💖प्यार की खुदा, कब तक देगा तू इस कदर हमें 😓सजा, निकाल ले तू इस जिस्म से 🔪जान मेरी, या मिला दे मुझ को मेरी 😍दिलरुबा।
जब खामोश 👀आँखो से बात होती है, ऐसे ही 💜मोहब्बत की शुरुआत होती है, तुम्हारे ही 😊ख़यालो में खोए रहते हैं, पता नही कब 😍दिन और कब रात होती है।
रुका हुआ है अज़ब ⛅️धूप-छाँव का मौसम, गुजर रहा है कोई ❤️दिल से 😍बादलों की तरह।
की है कोई हसीन खता हर खता के साथ, थोड़ा सा प्यार भी मुझे दे दो सज़ा के साथ।
रोज साहिल से 🌫समंदर का नजारा न करो, अपनी सूरत को 😍शबो-रोज निहारा न करो, आओ देखो मेरी नजरों में उतर कर खुद को, ◻️आइना हूँ मैं तेरा मुझसे किनारा न करो।
मेरे दिल का कहा मानो एक काम कर दो, एक बेनाम सी मोहब्बत मेरे नाम कर दो, मेरे ऊपर एक छोटा सा एहसान कर दो, एक दिन सुबह को मिलो और शाम कर दो।
तेरी आरज़ू में हमने बहारों को देखा, तेरे ख्यालों में हमने ⭐️सितारों को देखा, हमें 😘पसंद था बस आपका ही साथ, वर्ना इन 👀आँखों ने तो हजारों को देखा।
हमारे ❤️इश्क़ को यूं न आज़माओ सनम, पत्थरों को धड़कना 😍सिखा देते हैं हम।
मैं 😊नासमझ ही सही मगर वो 🌠तारा हूँ जो, तेरी एक ❤️ख्वाहिश के लिए सौ बार 😊टूट जाऊं।
ये कैसा 🤔सिलसिला है तेरे और मेरे 👩❤️💋👨दरमियाँ, फासले तो बहुत हैं 😍मोहब्बत कम नहीं होती।
मोहब्बत की कहूँ देवी या तुमको बंदगी कह दूँ, बुरा मानो न गर हमदम तो तुमको ज़िन्दगी कह दूँ।
😍ज़िन्दगी तुम मेरी बन जाओ 🙇♂️रब से और क्या माँगू, जीने की वजह बन 😍जाओ बस ये ही 🙇दुआ माँगू।
जी चाहे कि 🌏दुनिया की हर एक फ़िक्र भुला कर, ❤️दिल की बातें 😍सुनाऊं तुझे मैं पास बिठाकर।
जरा छू लूँ तुमको कि मुझको 😍यकीं आ जाये, लोग कहते हैं मुझे साये से ❤️मोहब्बत है।
बदलना आता नहीं हमें ⛅️मौसम की तरह, हर इक रुत में तेरा ⏳इंतज़ार करते हैं, ना तुम समझ सकोगे जिसे क़यामत तक, 👩❤️💋👨कसम तुम्हारी तुम्हें इतना 😍प्यार करते हैं।
आँखों की 💖चमक पलकों की शान हो तुम, चेहरे की हँसी लबों की 😊मुस्कान हो तुम, धड़कता है 💗दिल बस तुम्हारी आरज़ू में, फिर कैसे ना कहूँ कि मेरी 😘जान हो तुम।