एक लफ्ज़ उनको सुनाने के लिए, कितने अल्फ़ाज़ लिखे हमने ज़माने के लिए, उनका मिलना ही मुक़द्दर में न था, वर्ना क्या कुछ नहीं किया उनको पाने के लिए।
 - dard bhari shayari

एक लफ्ज़ उनको सुनाने के लिए, कितने अल्फ़ाज़ लिखे हमने ज़माने के लिए, उनका मिलना ही मुक़द्दर में न था, वर्ना क्या कुछ नहीं किया उनको पाने के लिए।

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