कांटो सी चुभती है तन्हाई, अंगारों सी सुलगती है तन्हाई, कोई आ कर हम दोनों को ज़रा हँसा दे, मैं रोता हूँ तो रोने लगती है तन्हाई।
 - dard bhari shayari

कांटो सी चुभती है तन्हाई, अंगारों सी सुलगती है तन्हाई, कोई आ कर हम दोनों को ज़रा हँसा दे, मैं रोता हूँ तो रोने लगती है तन्हाई।

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