सोचता था… दर्द की दौलत से, एक मैं ही मालामाल हूँ, देखा गौर से तो, हर कोई रईस निकला।
 - dard bhari shayari

सोचता था… दर्द की दौलत से, एक मैं ही मालामाल हूँ, देखा गौर से तो, हर कोई रईस निकला।

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