आज रास्ते में कुछ प्यार के खत मुझे टुकड़ो में मिले, शायद फिर किसी गरीब के मोहब्बत का तमाशा हो गया।

आज रास्ते में कुछ प्यार के खत मुझे टुकड़ो में मिले, शायद फिर किसी गरीब के मोहब्बत का तमाशा हो गया।

dard bhari shayari

दुनिया बड़ी जालिम है हर बात छिपानी पड़ती है, दिल में दर्द होता है फिर भी होठों पर हंसी लानी पड़ती है…

दुनिया बड़ी जालिम है हर बात छिपानी पड़ती है, दिल में दर्द होता है फिर भी होठों पर हंसी लानी पड़ती है…

वो करीब ही न आये तो इज़हार क्या करते, खुद बने निशाना तो शिकार क्या करते, मर गए पर खुली रखी आँखें, इससे ज्यादा किसी का इंतजार क्या करते।

वो करीब ही न आये तो इज़हार क्या करते, खुद बने निशाना तो शिकार क्या करते, मर गए पर खुली रखी आँखें, इससे ज्यादा किसी का इंतजार क्या करते।

सोचता था… दर्द की दौलत से, एक मैं ही मालामाल हूँ, देखा गौर से तो, हर कोई रईस निकला।

सोचता था… दर्द की दौलत से, एक मैं ही मालामाल हूँ, देखा गौर से तो, हर कोई रईस निकला।

उसकी दर्द भरी आँखों ने जिस जगह कहा था अलविदा, आज भी वही खड़ा है दिल उसके आने के इंतजार में…

उसकी दर्द भरी आँखों ने जिस जगह कहा था अलविदा, आज भी वही खड़ा है दिल उसके आने के इंतजार में…

दर्द कितना है बता नहीं सकते, ज़ख़्म कितने हैं दिखा नहीं सकते, आँखों से समझ सको तो समझ लो, आँसू गिरे हैं कितने गिना नहीं सकते।

दर्द कितना है बता नहीं सकते, ज़ख़्म कितने हैं दिखा नहीं सकते, आँखों से समझ सको तो समझ लो, आँसू गिरे हैं कितने गिना नहीं सकते।

 खेलना अच्छा नहीं, किसी के नाजुक दिल से, दर्द जान जाओगे जब, कोई खेलेगा तुम्हारे दिल से।

खेलना अच्छा नहीं, किसी के नाजुक दिल से, दर्द जान जाओगे जब, कोई खेलेगा तुम्हारे दिल से।

शायद वो वाकिफ था मेरी परेशानियों से, वरना तोहफे में जहर कौन देता है…

शायद वो वाकिफ था मेरी परेशानियों से, वरना तोहफे में जहर कौन देता है…

वो रात दर्द और सितम की रात होगी, जिस रात रुखसत उनकी बारात होगी, उठ जाता हूँ मैं ये सोचकर नींद से अक्सर, कि एक गैर की बाहों में मेरी सारी कायनात होगी।

वो रात दर्द और सितम की रात होगी, जिस रात रुखसत उनकी बारात होगी, उठ जाता हूँ मैं ये सोचकर नींद से अक्सर, कि एक गैर की बाहों में मेरी सारी कायनात होगी।

रीत है ना जाने कैसी ये जमाने की, सजा मिलती है यहाँ दिल लगाने की। ना बिठाओ किसी को दिल में इतना कि, फिर दुआ मांगनी पड़े उसे भूल जाने की।

रीत है ना जाने कैसी ये जमाने की, सजा मिलती है यहाँ दिल लगाने की। ना बिठाओ किसी को दिल में इतना कि, फिर दुआ मांगनी पड़े उसे भूल जाने की।

दिल के टूटने से नही होती है आवाज़, आंसू के बहने का नही होता है अंदाज़, गम का कभी भी हो सकता है आगाज़, और दर्द के होने का तो बस होता है एहसास।

दिल के टूटने से नही होती है आवाज़, आंसू के बहने का नही होता है अंदाज़, गम का कभी भी हो सकता है आगाज़, और दर्द के होने का तो बस होता है एहसास।

हम तो हँसते हैं, दूसरों को हँसाने के लिए वरना जख्म इतने है, कि ठीक से रोया भी नहीं जाता।

हम तो हँसते हैं, दूसरों को हँसाने के लिए वरना जख्म इतने है, कि ठीक से रोया भी नहीं जाता।

काश वो समझते इस दिल की तड़प को तो यूँ हमें, रुसवा ना किया होता उनकी ये बेरुखी भी, मंजूर थी हमें बस एक बार हमें समझ लिया होता…

काश वो समझते इस दिल की तड़प को तो यूँ हमें, रुसवा ना किया होता उनकी ये बेरुखी भी, मंजूर थी हमें बस एक बार हमें समझ लिया होता…

बहुत मतलबी हैं यहाँ के लोग, पहले आदत बनाते है, फिर करीब आते हैं, और जब प्यार हो जाये तो, छोड़ कर चले जाते हैं।

बहुत मतलबी हैं यहाँ के लोग, पहले आदत बनाते है, फिर करीब आते हैं, और जब प्यार हो जाये तो, छोड़ कर चले जाते हैं।

मेरा ख़याल ज़ेहन से मिटा भी न सकोगे, एक बार जो तुम मेरे गम से मिलोगे, तो सारी उम्र मुस्करा न सकोगे।

मेरा ख़याल ज़ेहन से मिटा भी न सकोगे, एक बार जो तुम मेरे गम से मिलोगे, तो सारी उम्र मुस्करा न सकोगे।

संवर रही है अब वो किसी और के लिए, पर मैं बिखर रहा हूं, आज भी उसी के लिए।

संवर रही है अब वो किसी और के लिए, पर मैं बिखर रहा हूं, आज भी उसी के लिए।

 मेरे किस्मत की किताब तो खूब लिखी थी खुदा ने, मुझसे बस वही पन्ना गुम हो गया जिसमें तेरा जिक्र होना था…

मेरे किस्मत की किताब तो खूब लिखी थी खुदा ने, मुझसे बस वही पन्ना गुम हो गया जिसमें तेरा जिक्र होना था…

न जाने कौन सा आँसू मेरा राज खोल दे, हम इस ख्याल से नजरें झुकाए बैठे हैं।

न जाने कौन सा आँसू मेरा राज खोल दे, हम इस ख्याल से नजरें झुकाए बैठे हैं।

हँसते हुए ज़ख्मों को भुलाने लगे हैं हम; हर दर्द के निशान मिटाने लगे हैं हम, अब और कोई ज़ुल्म सताएगा क्या भला; ज़ुल्मों सितम को अब तो सताने लगे हैं हम।

हँसते हुए ज़ख्मों को भुलाने लगे हैं हम; हर दर्द के निशान मिटाने लगे हैं हम, अब और कोई ज़ुल्म सताएगा क्या भला; ज़ुल्मों सितम को अब तो सताने लगे हैं हम।