मैं रोज बैठ रातों में नई एक कहानी लिखता जाता हूँ, बहुत दिन हुए तुझे गए पर आज भी तेरे नाम से जाना जाता हूँ।
नींद भी नीलाम हो जाती है दिल की महफिल में, किसी को भुलाकर सोना इतना आसान नहीं होता…
जरूरी नही जीने के लिए सहारा हों जरूरी नही जिसे हम अपना माने वो हमारा हो, कई कस्तियां बीच भबर में डूब जाया करती, जरूरी नही हर कस्ती को किनारा हो।
बहुत अकेला कर दिया, अपनों ने मुझे, समझ नहीं आता, किस्मत बुरी है या हम।
हर बात में आँसू बहाया नही करते, हर बात दिल की हर किसी से कहा नही करते, ये नमक का शहर है, इसलिए ज़ख्म यहाँ हर किसी को दिखाया नहीं करते..
अब जो मेरे न हो सको, तो कुछ ऐसा कर देना, मैं जैसा पहले था, मुझे फिर से वैसा कर देना।
ना मेरा दिल बुरा था ना उसमें कोई बुराई थी, सब नसीब का खेल है बस किस्मत में जुदाई थी।
जख्म खरीद लाया हूँ इश्क के बाजार से, दिल जिद कर रहा था मुझे मोहब्बत चाहिए…
रिश्ता तोडना तो नहीं चाहिए, लेकिन जहा कदर ना हो, वहां रिश्ता निभाया, भी नहीं जा सकता।
गम कितना है हम आपको दिखा नही सकते ज़ख्म कितने गहरे है ये आपको दिखा नही सकते, जरा हमारे इन आंसुओ को तो देख लो, ये आंसू गिरे है कितने ये हम आपको गिना नही सकते।
काश की वो लौट आये मुझसे ये कहने की तुम होते कौन हो मुझसे दूर होने वाले।
मुफ्त में नहीं सीखा है उदासी में मुस्कराने का हुनर, बदले में जिन्दगी की हर खुशी तबाह की है हमने…
रोया नहीं हूँ रुलाया गया हूँ, बनकर पसंद ठुकराया गया हूँ…
दुनिया में वह शख्स ही सबसे ज्यादा उदास रहता है, जो अपने से ज़्यादा किसी और की फ़िक्र करता है।
पुराना जहर नए नाम से पिला रहा है मुझे, ये सिरफिरा इश्क फिर से आजमा रहा है मुझे…
पीने की आदत थी मुझे, तो उसने अपनी कसम देकर छुड़ा दी, शाम को यारों के साथ बैठा, तो यारों ने उसी की कसम दे कर पिला दी…
सब खुश है अपनी दुनिया में.. अब किसी को भी शायद मेरी Zarurat नहीं रही।
तुझे कुछ मैं भी दूंगा तेरे दिए धोखे के बाद, एक दिन आऊंगा तेरे घर में ले कर अपनी शादी का कार्ड।