अयोध्या जिनका धाम है राम जिनका नाम हैं मर्यादा पुरषोतम वो राम हैं, उनके चरणों में हमारा प्रणाम है!
मन की गतिविधियों, होश, श्वास, और भावनाओं के माध्यम से भगवान की शक्ति सदा तुम्हारे साथ है।
मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है, जैसा वो विश्वास करता है वैसा वो बन जाता है।
क्रोध से भ्रम पैदा होता है, भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है, जब बुद्धि व्यग्र होती है तब तर्क नष्ट हो जाता है। जब तर्क नष्ट होता है तब व्यक्ति का पतन हो जाता है।
इस संसार में मूर्ख व्यक्ति, अधर्मी, अज्ञानी व नास्तिक प्रकृति का व्यक्ति, मेरी शरण स्वीकार नहीं कर सकता।
लोग कहते हैं अपनों के आगे झुक जाना चाहिए, किंतु सच बात तो यह है जो अपने होते हैं वह कभी झुकने नहीं देते।
जो दूसरों की तकलीफों को समझते हैं, जिनमें दया है, दिल से अच्छे हैं, उन्हें दोबारा जन्म लेना नहीं पड़ता।
जीवन में आधे दुख इस कारण जन्म लेते हैं क्योंकि उनसे आशाएं बड़ी होती है, इन आशाओं का त्याग करके देखो जीवन में सुख ही सुख है।
प्रहलाद जैसा विश्वास हो, भीलनी जैसी आस हो द्रोपदी जैसी पुकार हो, मीरा जैसा इंतजार हो तो कृष्ण को आना ही पड़ता है।
आत्म-ज्ञान की तलवार से काटकर अपने ह्रदय से अज्ञान के संदेह को अलग कर दो. अनुशाषित रहो, उठो।
मान, अपमान, लाभ-हानि खुश हो जाना या दुखी हो जाना यह सब मन की शरारत है।
मन अशांत है और उसे नियंत्रित करना कठिन है, लेकिन अभ्यास से इसे वश में किया जा सकता है।
उससे मत डरो जो वास्तविक नहीं है, ना कभी था ना कभी होगा.जो वास्तविक है, वो हमेशा था और उसे कभी नष्ट नहीं किया जा सकता।
ज्ञानी व्यक्ति को कर्म के प्रतिफल की अपेक्षा कर रहे, अज्ञानी व्यक्ति के दीमाग को अस्थिर नहीं करना चाहिए।
मन अशांत हो तो उसे नियंत्रित करना कठिन हैं, लेकिन अभ्यास से इसे वश में किया जा सकता हैं।
यदि आप किसी के साथ मित्रता नहीं कर सकते हैं, तो उसके साथ शत्रुता भी नहीं करना चाहिए।
अमीर बनने के लिए एक एक क्षण संग्रह करना पड़ता है, किन्तु अमर बनने के लिए एक एक कण बांटना पड़ता है।।
बुद्धिमान व्यक्ति को समाज कल्याण के लिए बिना आसक्ति के काम करना चाहिए।