Sardar Vallabhbhai Patel Quotes

Sardar Vallabhbhai Patel Quotes with Images

Sardar Vallabhbhai Patel Quotes in Hindi

जीवन में जितना दुःख भोगना लिखा है उसे तो भोगना ही पड़ेगा तो फिर व्यर्थ में चिंता क्यू करना ?

सत्य के मार्ग पर चलने हेतु बुरे का त्याग अवश्यक है, चरित्र का सुधार आवश्यक है।

सेवा करने वाले मनुष्य को विन्रमता सीखनी चाहिए, वर्दी पहन कर अभिमान नहीं, विनम्रता आनी चाहिए।

प्रजा का विश्वास, राज्य की निर्भयता की निशानी है।

मान-सम्मान किसी के देने से नहीं मिलते, अपनी योग्यतानुसार मिलते हैं।

बोलने में मर्यादा मत छोड़ना, गालियाँ देना तो कायरों का काम है।

ज्यादा बोलने से कोई फायदा नही होता है बल्कि सबकी नजरो में अपना नुकसान ही होता है।

त्याग के मूल्य का तभी पता चलता है, जब अपनी कोई मूल्यवान वस्तु छोडनी पडती है। जिसने कभी त्याग नहीं किया, वह इसका मूल्य क्या जाने।

हमारे देश में अनेक धर्म, अनेक भाषाए भी है लेकिन हमारी संस्कृति एक ही है।

जो तलवार चलाना जानते हुए भी अपनी तलवार को म्यान में रखता है उसी को सच्ची अहिंसा कहते है।

गरीबों की सेवा ही ईश्वर की सेवा है।

जब तक हमारा अंतिम ध्येय प्राप्त ना हो जाए तब तक उत्तरोत्तर अधिक कष्ट सहन करने की शक्ति हमारे अन्दर आये, यही सच्ची विजय है।

कर्तव्यनिष्ठ पुरूष कभी निराश नहीं होता। अतः जब तक जीवित रहें और कर्तव्य करते रहें, तो इसमें पूरा आनन्द मिलेगा।

उतावले उत्साह से बड़ा परिणाम निकलने की आशा नहीं रखनी चाहिये।

एकता के बिना जनशक्ति, शक्ति नहीं है। जब तक उसे ठीक तरह से सामंजस्य में ना लाया जाए और एकजुट ना किया जाए।

अविश्वास भय का प्रमुख कारण होता है।

इस देश की मिट्टी में कुछ अलग ही बात है, जो इतनी कठिनाइयों के बावजूद हमेशा महान आत्माओं की भूमि रही हैं।

मनुष्य को ठंडा रहना चाहिए, क्रोध नहीं करना चाहिए। लोहा भले ही गर्म हो जाए, हथौड़े को तो ठंडा ही रहना चाहिए अन्यथा वह स्वयं अपना हत्था जला डालेगा।

आपको अपना अपमान सहने की कला आनी चाहिए।

आज हमें ऊंच-नीच, अमीर-गरीब, जाति-पंथ के भेदभावों को समाप्त कर देना चाहिए।

जब जनता एक हो जाती है, तब उसके सामने क्रूर से क्रूर शासन भी नहीं टिक सकता।

सेवा धर्म बहुत ही कठिन है यह तो कठिन काँटों के सेज पर सोने जैसा है।

Sardar Vallabhbhai Patel Quotes Images - Download and Share

जीवन में जितना दुःख भोगना लिखा है उसे तो भोगना ही पड़ेगा तो फिर व्यर्थ में चिंता क्यू करना ?
सत्य के मार्ग पर चलने हेतु बुरे का त्याग अवश्यक है, चरित्र का सुधार आवश्यक है।
सेवा करने वाले मनुष्य को विन्रमता सीखनी चाहिए, वर्दी पहन कर अभिमान नहीं, विनम्रता आनी चाहिए।
 प्रजा का विश्वास, राज्य की निर्भयता की निशानी है।
मान-सम्मान किसी के देने से नहीं मिलते, अपनी योग्यतानुसार मिलते हैं।
बोलने में मर्यादा मत छोड़ना, गालियाँ देना तो कायरों का काम है।
ज्यादा बोलने से कोई फायदा नही होता है बल्कि सबकी नजरो में अपना नुकसान ही होता है।
त्याग के मूल्य का तभी पता चलता है, जब अपनी कोई मूल्यवान वस्तु छोडनी पडती है। जिसने कभी त्याग नहीं किया, वह इसका मूल्य क्या जाने।
हमारे देश में अनेक धर्म, अनेक भाषाए भी है लेकिन हमारी संस्कृति एक ही है।
 जो तलवार चलाना जानते हुए भी अपनी तलवार को म्यान में रखता है उसी को सच्ची अहिंसा कहते है।
 गरीबों की सेवा ही ईश्वर की सेवा है।
जब तक हमारा अंतिम ध्येय प्राप्त ना हो जाए तब तक उत्तरोत्तर अधिक कष्ट सहन करने की शक्ति हमारे अन्दर आये, यही सच्ची विजय है।
 कर्तव्यनिष्ठ पुरूष कभी निराश नहीं होता। अतः जब तक जीवित रहें और कर्तव्य करते रहें, तो इसमें पूरा आनन्द मिलेगा।
उतावले उत्साह से बड़ा परिणाम निकलने की आशा नहीं रखनी चाहिये।
एकता के बिना जनशक्ति, शक्ति नहीं है। जब तक उसे ठीक तरह से सामंजस्य में ना लाया जाए और एकजुट ना किया जाए।
 अविश्वास भय का प्रमुख कारण होता है।
इस देश की मिट्टी में कुछ अलग ही बात है, जो इतनी कठिनाइयों के बावजूद हमेशा महान आत्माओं की भूमि रही हैं।
मनुष्य को ठंडा रहना चाहिए, क्रोध नहीं करना चाहिए। लोहा भले ही गर्म हो जाए, हथौड़े को तो ठंडा ही रहना चाहिए अन्यथा वह स्वयं अपना हत्था जला डालेगा।
 आपको अपना अपमान सहने की कला आनी चाहिए।
 आज हमें ऊंच-नीच, अमीर-गरीब, जाति-पंथ के भेदभावों को समाप्त कर देना चाहिए।
 जब जनता एक हो जाती है, तब उसके सामने क्रूर से क्रूर शासन भी नहीं टिक सकता।
 सेवा धर्म बहुत ही कठिन है यह तो कठिन काँटों के सेज पर सोने जैसा है।