“जो व्यक्ति विकास के लिए खड़ा है उसे हर एक रूढ़िवादी चीज की आलोचना करनी होगी, उसमें अविश्वास करना होगा तथा उसे चुनौती देनी होगी!
किसी भी इंसान को मारना आसान है, परन्तु उसके विचारों को नहीं। महान साम्राज्य टूट जाते हैं, तबाह हो जाते हैं, जबकि उनके विचार बच जाते हैं!
स्वतंत्रता हर व्यक्ति का जन्मसिद्ध अधिकार है और अगर कोई इसके बीच रोड़ा बने तो आदमी को क्रांतिकारी बनने का भी अधिकार है!
मै खुद भी जीना चाहता हूँ और मेरी भी इच्छाएं हैं, पर देश के लिए इन सब का त्याग करने को हमेशा तैयार हूँ!
मेरा धर्म देश की सेवा करना है!
व्यक्ति की हत्या करना सरल है परन्तु विचारों की हत्या आप नहीं कर सकते!
यदि बहरों को सुनाना है तो आवाज़ को बहुत जोरदार होना होगा!
राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है, मैं एक ऐसा पागल हूं जो जेल में भी आजाद है!
लिख रह हूँ मैं अंजाम जिसका कल आगाज़ आएगा… मेरे लहू का हर एक कतरा इंकलाब लाएगा!
जिन्दा रहने की हसरत मेरी भी है, पर मै कैद रहकर अपना जीवन नहीं बिताना चाहता!
मेरी कलम मेरे जज्बातों को इस कदर समझती है की मै “इश्क” लिखने की कोशिश करूँ तो भी इन्कलाब ही लिखा जाता है!
जिंदगी तो सिर्फ अपने कंधों पर जी जाती है, दूसरों के कंधे पर तो सिर्फ जनाजे उठाए जाते हैं!
देशभक्तों को अक्सर लोग पागल कहते हैं!
सिने पर जो ज़ख्म है, सब फूलों के गुच्छे हैं, हमें पागल ही रहने दो, हम पागल ही अच्छे हैं!
हमारे साथ क्या होता हैं ये हम नियंत्रित नहीं कर सकते हैं लेकिन जो हमारे अंदर होता हैं उसे जरूर नियंत्रित कर सकते हैं।
पैर के फिसलने की चोट ठीक हो सकती हैं, लेकिन जुबान फिसलने के बाद कुछ नहीं हो सकता हैं।
यदि कोई व्यक्ति अपने धन को, ज्ञान अर्जित करने में खर्च करता है तो उससे, उस ज्ञान को कोई नहीं छीन सकता। ज्ञान के लिए किए गए निवेश से हमेशा अच्छा प्रतिफल प्राप्त होता है।
धन से आज तक किसी को खुशी नहीं मिली और न ही मिलेगी।