विदेशी नागरिक, दुखी व्यक्ति, विकलांग व जरूरतमंद इंसान की सदैव हृदय से मदद करें।

विदेशी नागरिक, दुखी व्यक्ति, विकलांग व जरूरतमंद इंसान की सदैव हृदय से मदद करें।

Guru Gobind Singh

यीशु ने कहा है की एक दूसरे से प्रेम करो, उन्होंने यह नहीं कहा की समस्त संसार से प्रेम करो।

यीशु ने कहा है की एक दूसरे से प्रेम करो, उन्होंने यह नहीं कहा की समस्त संसार से प्रेम करो।

सबसे बड़ा रोग किसी के लिए भी कुछ न होना है।

सबसे बड़ा रोग किसी के लिए भी कुछ न होना है।

 कार्य में प्रार्थना प्यार है, कार्य में प्यार सेवा है।

कार्य में प्रार्थना प्यार है, कार्य में प्यार सेवा है।

छोटी चीजों में वफादार रहिये क्योंकि इन्हीं में आपकी शक्ति निहित है।

छोटी चीजों में वफादार रहिये क्योंकि इन्हीं में आपकी शक्ति निहित है।

 अकेलापन और किसी के द्वारा न चाहने की भावना का होना भयानक गरीबी के सामान है।

अकेलापन और किसी के द्वारा न चाहने की भावना का होना भयानक गरीबी के सामान है।

शांति की शुरुआत मुस्कराहट से होती है।

शांति की शुरुआत मुस्कराहट से होती है।

 जब आप अपने अन्दर से अहंकार मिटा देंगे तभी आपको वास्तविक शांति प्राप्त होगी।

जब आप अपने अन्दर से अहंकार मिटा देंगे तभी आपको वास्तविक शांति प्राप्त होगी।

ये मित्र संगठित हैं, और फिर से अलग नहीं होंगे, उन्हें स्वंय सृजनकर्ता भगवान् ने एक किया है।

ये मित्र संगठित हैं, और फिर से अलग नहीं होंगे, उन्हें स्वंय सृजनकर्ता भगवान् ने एक किया है।

शरीर को नुक्सान पहुंचने वाले किसी भी प्रकार के नशे और तंबाकू आदि का सेवन न करें।

शरीर को नुक्सान पहुंचने वाले किसी भी प्रकार के नशे और तंबाकू आदि का सेवन न करें।

आप अपनी जवानी, जाति और कुल धर्म को लेकर कभी भी घमंडी ना बने उससे हमेशा बचे।

आप अपनी जवानी, जाति और कुल धर्म को लेकर कभी भी घमंडी ना बने उससे हमेशा बचे।

गुरुबानी को आप पूरी तरह से कंठस्थ कर लें।

गुरुबानी को आप पूरी तरह से कंठस्थ कर लें।

अपने काम को लेकर लापरवाह ना बने में खूब मेहनत करें।

अपने काम को लेकर लापरवाह ना बने में खूब मेहनत करें।

आप अपनी जीविका को चलाने के लिए ईमानदारी पूर्वक काम करे।

आप अपनी जीविका को चलाने के लिए ईमानदारी पूर्वक काम करे।

 हमेशा आप अपनी कमाई का दसवां भाग दान में दे दें।

हमेशा आप अपनी कमाई का दसवां भाग दान में दे दें।

इन्सान का स्वार्थ ही, अनेक अशुभ विचारों को जन्म देता है।

इन्सान का स्वार्थ ही, अनेक अशुभ विचारों को जन्म देता है।

जो व्यक्ति दिन और रात परमत्मा का ध्यान करता है, उसके लिए मै खुद को बलिदान करता हूँ।

जो व्यक्ति दिन और रात परमत्मा का ध्यान करता है, उसके लिए मै खुद को बलिदान करता हूँ।

जब आप अपने अन्दर बैठे अहंकार को मिटा देंगे तभी आपको वास्तविक शांति की प्राप्त होगी।

जब आप अपने अन्दर बैठे अहंकार को मिटा देंगे तभी आपको वास्तविक शांति की प्राप्त होगी।

यदि तुम असहाय और कमजोरो पर तलवार उठाते हो तो एक दिन ईश्वर भी आपके ऊपर अपना तलवार चलायेंगा।

यदि तुम असहाय और कमजोरो पर तलवार उठाते हो तो एक दिन ईश्वर भी आपके ऊपर अपना तलवार चलायेंगा।