मैं धरती की मधुर सुगंध हूँ, मैं अग्नि की ऊष्मा हूँ, सभी जीवित प्राणियों का जीवन और सन्यासियों का आत्मसंयम हूँ।

मैं धरती की मधुर सुगंध हूँ, मैं अग्नि की ऊष्मा हूँ, सभी जीवित प्राणियों का जीवन और सन्यासियों का आत्मसंयम हूँ।

Bhagavad Gita

अपने जीवन को मोमबत्ती की तरह बनाओ जो जलती जाती है लेकिन जाते-जाते लोगों के जीवन में उजाला कर जाती है

अपने जीवन को मोमबत्ती की तरह बनाओ जो जलती जाती है लेकिन जाते-जाते लोगों के जीवन में उजाला कर जाती है

 जब जब इस धरती पर पाप, अहंकार और अधर्म बढ़ेगा। तो उसका विनाश कर धर्म की पुन: स्थापना करने हेतु, मैं अवश्य अवतार लेता रहूंगा।

जब जब इस धरती पर पाप, अहंकार और अधर्म बढ़ेगा। तो उसका विनाश कर धर्म की पुन: स्थापना करने हेतु, मैं अवश्य अवतार लेता रहूंगा।

अच्छे कर्म करने के बावजूद भी लोग केवल आपकी बुराइयाँ ही याद रखेंगे, इसलिए लोग क्या कहते हैं इस पर ध्यान मत दो, तुम अपना कर्म करते रहो।

अच्छे कर्म करने के बावजूद भी लोग केवल आपकी बुराइयाँ ही याद रखेंगे, इसलिए लोग क्या कहते हैं इस पर ध्यान मत दो, तुम अपना कर्म करते रहो।

अपने आपको ईश्वर के प्रति समर्पित कर दो, यही सबसे बड़ा सहारा है। जो कोई भी इस सहारे को पहचान गया है वह डर, चिंता और दुखों से आजाद रहता है।

अपने आपको ईश्वर के प्रति समर्पित कर दो, यही सबसे बड़ा सहारा है। जो कोई भी इस सहारे को पहचान गया है वह डर, चिंता और दुखों से आजाद रहता है।

 जिस तरह प्रकाश की ज्योति अँधेरे में चमकती है, ठीक उसी प्रकार सत्य भी चमकता है। इसलिए हमेशा सत्य की राह पर चलना चाहिए।

जिस तरह प्रकाश की ज्योति अँधेरे में चमकती है, ठीक उसी प्रकार सत्य भी चमकता है। इसलिए हमेशा सत्य की राह पर चलना चाहिए।

जो होने वाला है वो होकर ही रहता है और जो नहीं होने वाला वह कभी नहीं होता, ऐसा निश्चय जिनकी बुद्धि में होता है, उन्हें चिंता कभी नही सताती है।

जो होने वाला है वो होकर ही रहता है और जो नहीं होने वाला वह कभी नहीं होता, ऐसा निश्चय जिनकी बुद्धि में होता है, उन्हें चिंता कभी नही सताती है।

जिस प्रकार एक दिया अपना प्रकाश कम किए बिना हजारों दियों को जला देता है उसी प्रकार खुशियों को बांटा जाए तो खुशियां कम नहीं होती।

जिस प्रकार एक दिया अपना प्रकाश कम किए बिना हजारों दियों को जला देता है उसी प्रकार खुशियों को बांटा जाए तो खुशियां कम नहीं होती।

अगर आपको कोई अच्छा लगता है तो अच्छा वह नहीं बल्कि अच्छे आप हो क्योंकि उसमें अच्छाई देखने वाली नजर आपके पास है।

अगर आपको कोई अच्छा लगता है तो अच्छा वह नहीं बल्कि अच्छे आप हो क्योंकि उसमें अच्छाई देखने वाली नजर आपके पास है।

मन में क्रोध रखने की अपेक्षा उसे तुरंत प्रकट कर देना अधिक अच्छा है जैसे पल में जल जाना और देर तक सुलगने से अच्छा है।

मन में क्रोध रखने की अपेक्षा उसे तुरंत प्रकट कर देना अधिक अच्छा है जैसे पल में जल जाना और देर तक सुलगने से अच्छा है।

जो जीवन के मूल्य को जानता हो। इससे उच्चलोक की नहीं अपितु अपयश प्राप्ति होती है।

जो जीवन के मूल्य को जानता हो। इससे उच्चलोक की नहीं अपितु अपयश प्राप्ति होती है।

जो पुरुष न तो कर्मफल की इच्छा करता है, और न कर्मफलों से घृणा करता है, वह संन्यासी जाना जाता है।

जो पुरुष न तो कर्मफल की इच्छा करता है, और न कर्मफलों से घृणा करता है, वह संन्यासी जाना जाता है।

अगर आप किसी को छोटा देख रहे हो तो आप उसे या तो दूर से देख रहे हो या तो अपने भीतर के अहंकार से।

अगर आप किसी को छोटा देख रहे हो तो आप उसे या तो दूर से देख रहे हो या तो अपने भीतर के अहंकार से।

जैसे समुद्र के पार जाने के लिए नाव ही एकमात्र साधन है उसी प्रकार स्वर्ग के लिए सत्य ही एकमात्र सीढ़ी है।

जैसे समुद्र के पार जाने के लिए नाव ही एकमात्र साधन है उसी प्रकार स्वर्ग के लिए सत्य ही एकमात्र सीढ़ी है।

पेड़ कभी डाली काटने से नहीं सूखता पेड़ हमेशा जड़ काटने से सूखता है वैसे ही इंसान अपने कर्म से नहीं बल्कि छोटी सोच और गलत व्यवहार से हारता है।

पेड़ कभी डाली काटने से नहीं सूखता पेड़ हमेशा जड़ काटने से सूखता है वैसे ही इंसान अपने कर्म से नहीं बल्कि छोटी सोच और गलत व्यवहार से हारता है।

जो मुझे सब जगह देखता है और सब कुछ मुझमें देकता है उसके लिए न तो मैं कभी अदृश्य होता हूँ और न वह मेरे लिए अदृश्य होता है।

जो मुझे सब जगह देखता है और सब कुछ मुझमें देकता है उसके लिए न तो मैं कभी अदृश्य होता हूँ और न वह मेरे लिए अदृश्य होता है।

एक ज्ञानवान व्यक्ति कभी भी कामुक सुख में आनंद नहीं लेता।

एक ज्ञानवान व्यक्ति कभी भी कामुक सुख में आनंद नहीं लेता।

कर्म वह फसल है जिसे इंसान को हर हाल में काटना ही पड़ता है।

कर्म वह फसल है जिसे इंसान को हर हाल में काटना ही पड़ता है।

जैसे जल द्वारा अग्नि को शांत किया जाता है वैसे ही ज्ञान के द्वारा मन को शांत रखना चाहिए।

जैसे जल द्वारा अग्नि को शांत किया जाता है वैसे ही ज्ञान के द्वारा मन को शांत रखना चाहिए।