सफलता जिस ताले में बंद रहती है वह दो चाबियों से खुलती है। एक कठिन परिश्रम और दूसरा दृढ संकल्प ।

सफलता जिस ताले में बंद रहती है वह दो चाबियों से खुलती है। एक कठिन परिश्रम और दूसरा दृढ संकल्प ।

Bhagavad Gita

आत्म-ज्ञान की तलवार से अपने ह्रदय से अज्ञान के संदेह को काटकर अलग कर दो। उठो, अनुशाषित रहो।

आत्म-ज्ञान की तलवार से अपने ह्रदय से अज्ञान के संदेह को काटकर अलग कर दो। उठो, अनुशाषित रहो।

मेरा तेरा, छोटा बड़ा, अपना पराया, मन से मिटा दो, फिर सब तुम्हारा है और तुम सबके हो।

मेरा तेरा, छोटा बड़ा, अपना पराया, मन से मिटा दो, फिर सब तुम्हारा है और तुम सबके हो।

कर्मों का गणित बड़ा सीधा और सरल है कर भला हो भला कर बुरा तो हो बुरा।

कर्मों का गणित बड़ा सीधा और सरल है कर भला हो भला कर बुरा तो हो बुरा।

प्रबुद्ध व्यक्ति के लिए, गंदगी का ढेर, पत्थर और सोना सभी समान हैं।

प्रबुद्ध व्यक्ति के लिए, गंदगी का ढेर, पत्थर और सोना सभी समान हैं।

जिस प्रकार अग्नि स्वर्ण को परखती है, उसी प्रकार संकट वीर पुरुषों को।

जिस प्रकार अग्नि स्वर्ण को परखती है, उसी प्रकार संकट वीर पुरुषों को।

जीवन ना तो भविष्य में है ना अतीत में, जीवन तो इस क्षण में है।

जीवन ना तो भविष्य में है ना अतीत में, जीवन तो इस क्षण में है।

खुद को जीवन के योग्य बनाना ही सफलता और सुख का एक मात्र मार्ग है।

खुद को जीवन के योग्य बनाना ही सफलता और सुख का एक मात्र मार्ग है।

जो कर्म को फल के लिए करता है, वास्तव में ना उसे फल मिलता है, ना ही वो कर्म है।

जो कर्म को फल के लिए करता है, वास्तव में ना उसे फल मिलता है, ना ही वो कर्म है।

धरती पर जिस प्रकार मौसम में बदलाव आता है, उसी प्रकार जीवन में भी सुख-दुख आता जाता रहता है।

धरती पर जिस प्रकार मौसम में बदलाव आता है, उसी प्रकार जीवन में भी सुख-दुख आता जाता रहता है।

बुराई को देखना और सुनना ही बुराई की शुरुआत है।

बुराई को देखना और सुनना ही बुराई की शुरुआत है।

रहने के लिए सबसे अच्छा स्थान किसी का हृदय है।

रहने के लिए सबसे अच्छा स्थान किसी का हृदय है।

वक्त से हारा या जीता नहीं जाता बल्कि सीखा जाता है।

वक्त से हारा या जीता नहीं जाता बल्कि सीखा जाता है।

नरक के तीन द्वार होते है, वासना, क्रोध और लालच।

नरक के तीन द्वार होते है, वासना, क्रोध और लालच।

कर्म के बिना फल की अभिलाषा करना, व्यक्ति की सबसे बड़ी मूर्खता है।

कर्म के बिना फल की अभिलाषा करना, व्यक्ति की सबसे बड़ी मूर्खता है।

समय से पहले और भाग्य से अधिक कभी किसी को कुछ नही मिलता है।

समय से पहले और भाग्य से अधिक कभी किसी को कुछ नही मिलता है।

हर मनुष्य में दया और प्रेम होना चाहिए, हर किसी के मन में अपने से छोटे के प्रति दया और अपने से बड़ों के प्रति सम्मान की भावना होनी चाहिए।

हर मनुष्य में दया और प्रेम होना चाहिए, हर किसी के मन में अपने से छोटे के प्रति दया और अपने से बड़ों के प्रति सम्मान की भावना होनी चाहिए।

जो व्यक्ति किसी से भेदभाव नहीं करता और सबके साथ अच्छा व्यवहार करता है वह आदमी जीवन में खूब प्रगति करता है, ऐसे आदमी की हर इच्छा पूरी होती है।

जो व्यक्ति किसी से भेदभाव नहीं करता और सबके साथ अच्छा व्यवहार करता है वह आदमी जीवन में खूब प्रगति करता है, ऐसे आदमी की हर इच्छा पूरी होती है।

जो व्यक्ति जो कार्य निश्चित है उसे छोड़कर, जो कार्य अनिश्चित है उसके पीछे भागे तो वह व्यक्ति उसके हाथ में आया कार्य भी खो देता है।

जो व्यक्ति जो कार्य निश्चित है उसे छोड़कर, जो कार्य अनिश्चित है उसके पीछे भागे तो वह व्यक्ति उसके हाथ में आया कार्य भी खो देता है।