अवसर के साथ तैयारी का मिलन उस संतति की उतपत्ति करता है जिसे हम भाग्य का नाम देते

अवसर के साथ तैयारी का मिलन उस संतति की उतपत्ति करता है जिसे हम भाग्य का नाम देते

Tony Robbins

“कुछ भी हो, जिम्मेदारी ले लो।

“कुछ भी हो, जिम्मेदारी ले लो।

जब लोग एक दूसरे की तरह होते हैं तो वे एक दूसरे को पसंद करने लगते हैं।

जब लोग एक दूसरे की तरह होते हैं तो वे एक दूसरे को पसंद करने लगते हैं।

असफलता जैसी कोई चीज नहीं होती। यह केवल परिणाम है।

असफलता जैसी कोई चीज नहीं होती। यह केवल परिणाम है।

जीवन में आपको प्रेरणा या हताशा की आवश्यकता होती है।

जीवन में आपको प्रेरणा या हताशा की आवश्यकता होती है।

सफल लोग बेहतर प्रश्न पूछते हैं, और परिणामस्वरूप, उन्हें बेहतर उत्तर मिलते हैं।

सफल लोग बेहतर प्रश्न पूछते हैं, और परिणामस्वरूप, उन्हें बेहतर उत्तर मिलते हैं।

यह आपके निर्णय के क्षणों में है जहां से आपका भाग्य आकार लेता है।

यह आपके निर्णय के क्षणों में है जहां से आपका भाग्य आकार लेता है।

“हम अपना जीवन बदल सकते हैं। हम कर सकते हैं, और जैसा हम चाहते हैं बदल सकते हैं।

“हम अपना जीवन बदल सकते हैं। हम कर सकते हैं, और जैसा हम चाहते हैं बदल सकते हैं।

लक्ष्य चुंबक की तरह होते हैं। वे उन चीजों को आकर्षित करेंगे जो उन्हें सच बनाने मैं मदद करेंगे।

लक्ष्य चुंबक की तरह होते हैं। वे उन चीजों को आकर्षित करेंगे जो उन्हें सच बनाने मैं मदद करेंगे।

केवल असंभव यात्रा वह है, जिसे आप कभी भी शुरू नहीं करते हैं।

केवल असंभव यात्रा वह है, जिसे आप कभी भी शुरू नहीं करते हैं।

अपने  निर्णय के क्षणों में ही आप अपने भाग्य का आकार बनाते हैं।

अपने निर्णय के क्षणों में ही आप अपने भाग्य का आकार बनाते हैं।

अहंकार बहुत बुरी वस्तु है। हो सके तो इससे निकल कर भाग जाओ। मित्र, रुई में लिपटी अग्नि-अहंकार-को मैं कब तक अपने पास रखूं?

अहंकार बहुत बुरी वस्तु है। हो सके तो इससे निकल कर भाग जाओ। मित्र, रुई में लिपटी अग्नि-अहंकार-को मैं कब तक अपने पास रखूं?

यह शरीर कच्चा घडा है जिसे तू साथ लिए घूमता फिरता था। जरा सी चोट लगते ही यह फूट गया। कुछ भी हाथ नहीं आया।

यह शरीर कच्चा घडा है जिसे तू साथ लिए घूमता फिरता था। जरा सी चोट लगते ही यह फूट गया। कुछ भी हाथ नहीं आया।

जो जाता है उसे जाने दो। तुम अपनी स्थिति को, दशा को न जाने दो। अगर तुम अपने स्वरूप में बने रहे तो केवट की नाव की तरह अनेक व्यक्ति आकर तुमसे मिलेंगे।

जो जाता है उसे जाने दो। तुम अपनी स्थिति को, दशा को न जाने दो। अगर तुम अपने स्वरूप में बने रहे तो केवट की नाव की तरह अनेक व्यक्ति आकर तुमसे मिलेंगे।

 मान, महत्व, प्रेम रस, गौरव गुण और स्नेह-सब बाढ़ में बह जाते हैं जब किसी मनुष्य से कुछ देने के लिए कहा जाता है।

मान, महत्व, प्रेम रस, गौरव गुण और स्नेह-सब बाढ़ में बह जाते हैं जब किसी मनुष्य से कुछ देने के लिए कहा जाता है।

जिस व्यक्ति ने प्रेम को चखा नहीं, और चख कर स्वाद नहीं लिया, वह उस स्थिति के समान हाउ जो सूने, निर्जन घर में जैसा आता है, वैसा ही चला भी जाता है, कुछ प्राप्त नहीं कर पाता।

जिस व्यक्ति ने प्रेम को चखा नहीं, और चख कर स्वाद नहीं लिया, वह उस स्थिति के समान हाउ जो सूने, निर्जन घर में जैसा आता है, वैसा ही चला भी जाता है, कुछ प्राप्त नहीं कर पाता।

 थोडा सा जीवन है, उसके लिए मनुष्य अनेक प्रकार के प्रबंध करता है। चाहे राजा हो या निर्धन चाहे बादशाह-सब खड़े खड़े नष्ट हो गए।

थोडा सा जीवन है, उसके लिए मनुष्य अनेक प्रकार के प्रबंध करता है। चाहे राजा हो या निर्धन चाहे बादशाह-सब खड़े खड़े नष्ट हो गए।

 बदल पत्थर के ऊपर झिरमिर करके बरसने लगे। इससे मिट्टी तो भीग कर सजा हो गई किन्तु पत्थर वैसा का वैसा बना रहा।

बदल पत्थर के ऊपर झिरमिर करके बरसने लगे। इससे मिट्टी तो भीग कर सजा हो गई किन्तु पत्थर वैसा का वैसा बना रहा।

 पानी के स्नेह को हरा वृक्ष ही जानता है। सुखा काठ-लकड़ी क्या जाने कि कब पानी बरसा? अथार्त सह्रदय ही प्रेम भाव को समझता है। निर्मम मन इस भावना को क्या जाने?

पानी के स्नेह को हरा वृक्ष ही जानता है। सुखा काठ-लकड़ी क्या जाने कि कब पानी बरसा? अथार्त सह्रदय ही प्रेम भाव को समझता है। निर्मम मन इस भावना को क्या जाने?