नास्तिक व्यक्ति को वैज्ञानिक दृष्टिकोण के आधार पर भगवान में विश्वास करना चाहिए। इसी में उनका हित है।

नास्तिक व्यक्ति को वैज्ञानिक दृष्टिकोण के आधार पर भगवान में विश्वास करना चाहिए। इसी में उनका हित है।

Ishwar Chandra Vidyasagar

जीवन छोटा है, लेकिन शिष्टाचार के लिए हमेशा पर्याप्त समय होता है।

जीवन छोटा है, लेकिन शिष्टाचार के लिए हमेशा पर्याप्त समय होता है।

यह जीवन की लंबाई नहीं, बल्कि गहराई है।

यह जीवन की लंबाई नहीं, बल्कि गहराई है।

अगर सफल और प्रतिष्ठित बनना है, तो झुकना सीखो। क्योंकि जो झुकते नहीं, समय की हवा उन्हें झुका देती है।

अगर सफल और प्रतिष्ठित बनना है, तो झुकना सीखो। क्योंकि जो झुकते नहीं, समय की हवा उन्हें झुका देती है।

जो मनुष्य संयम के साथ, विद्या ग्रहण करता है। और अपनी विद्या से सब का परोपकार करता है। उसकी पूजा सिर्फ इस लोक में ही नहीं बल्कि परलोक में भी होती है।

जो मनुष्य संयम के साथ, विद्या ग्रहण करता है। और अपनी विद्या से सब का परोपकार करता है। उसकी पूजा सिर्फ इस लोक में ही नहीं बल्कि परलोक में भी होती है।

जो लोग नास्तिक हैं उन्हें वैज्ञानिक दृष्टिकोण से ईश्वर को मानना ​​चाहिए, इसमें उनकी रुचि होती है।

जो लोग नास्तिक हैं उन्हें वैज्ञानिक दृष्टिकोण से ईश्वर को मानना ​​चाहिए, इसमें उनकी रुचि होती है।

यदि कोई व्यक्ति बड़ा बनना चाहता है तो उसे छोटे – छोटे काम भी पूर्ण निष्ठा से करना चाहिए। क्योंकि स्वावलंबी ही श्रेष्ठ होता है।

यदि कोई व्यक्ति बड़ा बनना चाहता है तो उसे छोटे – छोटे काम भी पूर्ण निष्ठा से करना चाहिए। क्योंकि स्वावलंबी ही श्रेष्ठ होता है।

दूसरों के कल्याण से बढ़कर कोई नेक काम और धर्म नहीं है।

दूसरों के कल्याण से बढ़कर कोई नेक काम और धर्म नहीं है।

मनुष्य का सबसे बड़ा कार्य दूसरों की भलाई और सहयोग होना चाहिए। जो कि एक समृद्ध राष्ट्र का निर्माण करता है।

मनुष्य का सबसे बड़ा कार्य दूसरों की भलाई और सहयोग होना चाहिए। जो कि एक समृद्ध राष्ट्र का निर्माण करता है।

अगर सफल और प्रतिष्ठित बनना है, तो झुकना सीखो। क्यूंकि जो झुकते नहीं, समय की हवा उन्हें झुका देती है।

अगर सफल और प्रतिष्ठित बनना है, तो झुकना सीखो। क्यूंकि जो झुकते नहीं, समय की हवा उन्हें झुका देती है।

भले ही मनुष्य कितना भी बड़ा क्यों न बन जाये। परंतु उसे हमेशा अपना अतीत याद करते रहना चाहिए।

भले ही मनुष्य कितना भी बड़ा क्यों न बन जाये। परंतु उसे हमेशा अपना अतीत याद करते रहना चाहिए।

समाज के हित में किये गए कार्यों से बढ़कर दूसरा कोई नेक काम नहीं है। यही मनुष्य का सच्चा धर्म है।

समाज के हित में किये गए कार्यों से बढ़कर दूसरा कोई नेक काम नहीं है। यही मनुष्य का सच्चा धर्म है।

अपने हित से पहले, समाज और देश के हित को देखना एक विवेकयुक्त सच्चे नागरिक का धर्म होता है।

अपने हित से पहले, समाज और देश के हित को देखना एक विवेकयुक्त सच्चे नागरिक का धर्म होता है।

विद्या सबसे अनमोल धन है। इसके आने मात्र से हमारा ही नहीं अपितु पूरे समाज का कल्याण होता है।

विद्या सबसे अनमोल धन है। इसके आने मात्र से हमारा ही नहीं अपितु पूरे समाज का कल्याण होता है।

समस्त जीवों में मनुष्य सर्वश्रेष्ठ बताया गया है। क्यूंकि उसके पास आत्मविवेक और आत्मज्ञान है।

समस्त जीवों में मनुष्य सर्वश्रेष्ठ बताया गया है। क्यूंकि उसके पास आत्मविवेक और आत्मज्ञान है।

जिसके अंदर विनम्रता है वही जीवन में सुखी और सफल है। और विनम्रता विद्या से ही आती है।

जिसके अंदर विनम्रता है वही जीवन में सुखी और सफल है। और विनम्रता विद्या से ही आती है।

 ध्यान करना एकाग्रता देता है, संयम विवेक देता है। शांति, संतुष्टि और परोपकार मनुष्यता देती है

ध्यान करना एकाग्रता देता है, संयम विवेक देता है। शांति, संतुष्टि और परोपकार मनुष्यता देती है

जो व्यक्ति दूसरों के काम न आये, वह वास्तव में मनुष्य नहीं है।

जो व्यक्ति दूसरों के काम न आये, वह वास्तव में मनुष्य नहीं है।

दूसरों के कल्याण से बढ़कर दूसरा कोई नेक काम और धर्म नहीं होता है।

दूसरों के कल्याण से बढ़कर दूसरा कोई नेक काम और धर्म नहीं होता है।