कभी भी अपना सर नही झुकाना चाहिए बल्कि हमेसा ऊचा ही रखना चाहिए।

कभी भी अपना सर नही झुकाना चाहिए बल्कि हमेसा ऊचा ही रखना चाहिए।

Chhatrapati Shivaji Maharaj

भले ही मनुष्य कितना भी बड़ा क्यों न बन जाये। परंतु उसे हमेशा अपना अतीत याद करते रहना चाहिए।

भले ही मनुष्य कितना भी बड़ा क्यों न बन जाये। परंतु उसे हमेशा अपना अतीत याद करते रहना चाहिए।

समाज के हित में किये गए कार्यों से बढ़कर दूसरा कोई नेक काम नहीं है। यही मनुष्य का सच्चा धर्म है।

समाज के हित में किये गए कार्यों से बढ़कर दूसरा कोई नेक काम नहीं है। यही मनुष्य का सच्चा धर्म है।

अपने हित से पहले, समाज और देश के हित को देखना एक विवेकयुक्त सच्चे नागरिक का धर्म होता है।

अपने हित से पहले, समाज और देश के हित को देखना एक विवेकयुक्त सच्चे नागरिक का धर्म होता है।

विद्या सबसे अनमोल धन है। इसके आने मात्र से हमारा ही नहीं अपितु पूरे समाज का कल्याण होता है।

विद्या सबसे अनमोल धन है। इसके आने मात्र से हमारा ही नहीं अपितु पूरे समाज का कल्याण होता है।

समस्त जीवों में मनुष्य सर्वश्रेष्ठ बताया गया है। क्यूंकि उसके पास आत्मविवेक और आत्मज्ञान है।

समस्त जीवों में मनुष्य सर्वश्रेष्ठ बताया गया है। क्यूंकि उसके पास आत्मविवेक और आत्मज्ञान है।

जिसके अंदर विनम्रता है वही जीवन में सुखी और सफल है। और विनम्रता विद्या से ही आती है।

जिसके अंदर विनम्रता है वही जीवन में सुखी और सफल है। और विनम्रता विद्या से ही आती है।

 ध्यान करना एकाग्रता देता है, संयम विवेक देता है। शांति, संतुष्टि और परोपकार मनुष्यता देती है

ध्यान करना एकाग्रता देता है, संयम विवेक देता है। शांति, संतुष्टि और परोपकार मनुष्यता देती है

जो व्यक्ति दूसरों के काम न आये, वह वास्तव में मनुष्य नहीं है।

जो व्यक्ति दूसरों के काम न आये, वह वास्तव में मनुष्य नहीं है।

दूसरों के कल्याण से बढ़कर दूसरा कोई नेक काम और धर्म नहीं होता है।

दूसरों के कल्याण से बढ़कर दूसरा कोई नेक काम और धर्म नहीं होता है।

अंगूर को जब तक न पेरो वह मीठी मदिरा नहीं बनती। वैसे ही मनुष्य जब तक कष्ट में पिसता नहीं तब तक उसके अन्दर की सर्वोत्तम प्रतिभा बाहर नहीं आती।

अंगूर को जब तक न पेरो वह मीठी मदिरा नहीं बनती। वैसे ही मनुष्य जब तक कष्ट में पिसता नहीं तब तक उसके अन्दर की सर्वोत्तम प्रतिभा बाहर नहीं आती।

अपने आत्मबल को जगाने वाला, खुद को पहचानने वाला और मानव जाति के कल्याण की सोच रखने वाला पूरे विश्व पर राज्य कर सकता है।

अपने आत्मबल को जगाने वाला, खुद को पहचानने वाला और मानव जाति के कल्याण की सोच रखने वाला पूरे विश्व पर राज्य कर सकता है।

आत्मबल सामर्थ्य देता है और सामर्थ्य विद्या प्रदान करती है। तथा विद्या स्थिरता प्रदान करती है और स्थिरता विजय की तरफ ले जाती है।

आत्मबल सामर्थ्य देता है और सामर्थ्य विद्या प्रदान करती है। तथा विद्या स्थिरता प्रदान करती है और स्थिरता विजय की तरफ ले जाती है।

एक पुरुषार्थी भी, एक तेजस्वी विद्वान के सामने झुकता है। क्योकी पुरुर्षाथ भी विद्या से ही आती है।

एक पुरुषार्थी भी, एक तेजस्वी विद्वान के सामने झुकता है। क्योकी पुरुर्षाथ भी विद्या से ही आती है।

जो व्यक्ति सिर्फ अपने देश और सत्य के सामने झुकते है उनका आदर सभी जगह होता है।

जो व्यक्ति सिर्फ अपने देश और सत्य के सामने झुकते है उनका आदर सभी जगह होता है।

स्वतंत्रता एक वरदान है, जिसे पाने का अधिकारी हर किसी को है।

स्वतंत्रता एक वरदान है, जिसे पाने का अधिकारी हर किसी को है।

इस दुनिया में प्रत्येक व्यक्ति को स्वतंत्र रहने का अधिकार है। और उस अधिकार को पाने के लिए वह किसी से भी लड़ सकता है।

इस दुनिया में प्रत्येक व्यक्ति को स्वतंत्र रहने का अधिकार है। और उस अधिकार को पाने के लिए वह किसी से भी लड़ सकता है।

अगर इंसान के पास आत्मबल है, तो वो पुरे संसार पर अपने हौसले से विजय पताका लहरा सकता है।

अगर इंसान के पास आत्मबल है, तो वो पुरे संसार पर अपने हौसले से विजय पताका लहरा सकता है।

 जो मनुष्य अपने बुरे वक्त में भी पूरी लगन से अपने कार्यों में लगा रहता है। उसके लिए समय खुद अच्छे समय में बदल जाता है।

जो मनुष्य अपने बुरे वक्त में भी पूरी लगन से अपने कार्यों में लगा रहता है। उसके लिए समय खुद अच्छे समय में बदल जाता है।