केवल मात्रात्मक अंतर एक निश्चित बिंदु से परे गुणात्मक परिवर्तनों में बदल जाते हैं।
धर्म, मानव मस्तिष्क जो न समझ सके, उससे निपटने के लिए नपुंसकता है।
प्रत्येक युग के शासक विचार हमेशा उसके शासक वर्ग के विचार रहे हैं।
कंजूस मात्र एक पागल पूंजीपति है, पूंजीपति एक तर्कसंगत कंजूस है।
कारण हमेशा से अस्तित्व में रहे हैं, लेकिन हमेशा उचित रूप में नहीं।
उपयोग की वस्तु हुए बिना, किसी चीज की कीमत नहीं हो सकती।
पिछले सभी समाजों का इतिहास वर्ग संघर्षों का इतिहास रहा है।
नौकरशाह के लिए दुनिया महज एक हेरफेर करने की वस्तु है।
लोगों की खुशी के लिए पहली आवश्यकता धर्म का उन्मूलन है।
चिकित्सा बीमारी की तरह संदेह को भी ठीक करती है।
मैं एक मशीन हूँ जो किताबों को खा जाने के लिए दण्डित है।
नरक का मार्ग अच्छे आशय से तैयार किया जाता है।
लोकतंत्र समाजवाद का मार्ग है।
क्रांतियां इतिहास का इंजन होती हैं।
धर्म जनता की अफीम है।
अज्ञानी कर्म का प्रभाव ख़त्म करने के लिए लाखों जन्म लेता है। जबकि आध्यात्मिक ज्ञान रखने और अनुशासन में रहने वाला व्यक्ति एक क्षण में उसे ख़त्म कर देता हो।
किसी के सिर पर गुच्छेदार या उलझे हुए बाल हों या उसका सिर मुंडा हुआ हो, वह नग्न रहता हो या फटे-चिथड़े कपड़े पहनता हो। लेकिन अगर वो झूठ बोलता है तो ये सब व्यर्थ और निष्फल है।
जो लोग जीवन के सर्वोच्च उद्देश्य से अनजान हैं। वे व्रत रखने और धार्मिक आचरण के नियम मानने और ब्रह्मचर्य और तप का पालन करने के बावजूद निर्वाण प्राप्त करने में सक्षम नहीं होंगे।