मौजूदा दृष्टिकोण में प्रबल बदलाव के बिना सम्बन्ध नहीं बन सकते .
आगे बढ़ने के लिए खुद से चुने गए अभ्यास हैं.
मैंने हमेशा से अपने अन्दर वंचित लोगों के लिए जीने और सेवा करने का उत्साह पाला है .
काम मुझे ‘ख़ुशी ’ देता है और हर एक शुरुआत स्वयं की खोज का एक रास्ता है
वो कितनी बड़ी राष्ट्रीय क्रांति होगी अगर हम्मे से हर कोई खुद को शाशित करने लगे
विकास ये मन और मानसिकता के अंतर के ही बराबर है।
आप अपने नाम की वजह से कभी उत्कृष्ट नही बनते, जबकि आप अपनी कंपनी के श्रेष्ट गुणों की वजह से उत्कृष्ट बनते हो।
समय की धारा में, जब कुछ देने की हमारी बारी आती है तब हमे ऐसे पेड़ो की बुआई करनी चाहिए जिसके फल भले ही हमे कभी खाने न मिले हो लेकिन वे आने वाली पीढ़ी के लिए उपयोगी होने चाहिए।
हमारी संपत्ति हर शाम दरवाजे से बाहर जाती है। लेकिन हमें इस बात का पूरा भरोसा होना चाहिए की अगली सुबह वे जरूर वापिस आएँगी।
पैसो की असली ताकत उसे दूसरे को देने में ही है।”
प्रगति अक्सर मन और मानसिकता के अंतर के बराबर होती है।
जब संदेह में हों, तो बता दें।
एक मुमकिन असंभावना एक निश्चित सम्भावना की तुलना में बेहतर है।
एक साफ अंतःकरण दुनिया का सबसे नर्म तकिया है।
चरित्र + अवसर = सफलता
हम ईश्वर में यकीन रखते हैं, बाकी सभी तथ्य जमा करते हैं।
पेड़ फल से, इंसान कर्म से, और कोयल अपनी कूक से जानी जाती है..
तीसरे अम्पायर को उतनी जल्दी-जल्दी ही बदलना चाहिए, जितना कि बच्चों की लंगोट बदलते हैं और उसी वजह से।