हम ईश्वर में यकीन रखते हैं, बाकी सभी तथ्य जमा करते हैं।
चरित्र + अवसर = सफलता
एक साफ अंतःकरण दुनिया का सबसे नर्म तकिया है।
एक मुमकिन असंभावना एक निश्चित सम्भावना की तुलना में बेहतर है।
जब संदेह में हों, तो बता दें।
प्रगति अक्सर मन और मानसिकता के अंतर के बराबर होती है।
पैसो की असली ताकत उसे दूसरे को देने में ही है।”
आदर, पहचान और पुरस्कार पर ही हमारा प्रदर्शन निर्भर होता है।
हमारी संपत्ति हर शाम दरवाजे से बाहर जाती है। लेकिन हमें इस बात का पूरा भरोसा होना चाहिए की अगली सुबह वे जरूर वापिस आएँगी।
समय की धारा में, जब कुछ देने की हमारी बारी आती है तब हमे ऐसे पेड़ो की बुआई करनी चाहिए जिसके फल भले ही हमे कभी खाने न मिले हो लेकिन वे आने वाली पीढ़ी के लिए उपयोगी होने चाहिए।